लक्ष्मीबाई एवं भाऊराव देवरस की जयंती मनाई गई
गोरखपुर -सरस्वती शिशु मंदिर (10+2) पक्की बाग गोरखपुर में आज झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एवं भाऊराव देवरस की जयंती मनाई गई ।
जिसमें विद्यालय की आचार्या भारती राय ने रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रानी लक्ष्मीबाई एक ऐसा नाम जो सुनते ही मन जोश और उत्साह से भर जाता है। जिन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए, इनका नारा था कि मैं जीते जी अपनी झांसी किसी को नहीं दूंगी ।बचपन से ही रानी लक्ष्मीबाई अस्त्र-शस्त्र में निपुण एक निडर ,पराक्रमी, साहसी महिला थी। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने राज्य स्वयं संभाला और ठीक प्रकार से संचालन किया।जिस समय अंग्रेजों का झांसी पर आक्रमण हुआ ।इन्होंने बहुत पराक्रम और सूझबूझ से अंग्रेजों का सामना किया और उन्होंने कहा कि अपने जीते जी मैं अपनी झांसी किसी को देने वाली नहीं हूं और देश ,समाज, राष्ट्र, राज्य सबका इन्होंने अच्छी प्रकार से संचालन किया। और देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। बुंदेले हर बोलो कि मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
विद्यालय के आचार्य मनीष शर्मा ने भाऊराव देवरस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि भाऊ राव देवरस एक सामान्य परिवार से निकले हुए थे। जिनकी समाज सेवा में विशेष रूचि थी पढ़ाई के साथ-साथ संघ के कार्य से जुड़े और संघ के कार्य को उन्होंने बहुत आगे तक बढ़ाया। उत्तर प्रदेश में संघ कार्य को गति देने के बाद क्रमशः बिहार ,बंगाल ,पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्र में कार्य किए।दिल्ली में रहते हुए विद्या भारती तथा भारतीय जनता पार्टी जैसे कामों की देखरेख करते रहे ।
उनके अंदर व्यक्ति के पहचान की अद्भुत क्षमता थी ।सरस्वती शिशु मंदिर के मार्गदर्शन के रूप में भाऊराव देवरस का नाम अग्रणी है।जो सरस्वती शिशु मंदिर आज देश ही नहीं विदेशों में अपना काम शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में कर रहा है। भाऊराव देवरस आजीवन राष्ट्र, देश ,समाज की सेवा करते रहे।
अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ राजेश सिंह ने बच्चों को आशीर्वाद दिया और रानी लक्ष्मीबाई तथा भाऊ राव देवरस के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाले।
इस अवसर पर विद्यालय के समस्त छात्र – छात्राएं एवं अध्यापक गण उपस्थित रहे |