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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 24 Oct 2023 4:52 PM |   131 views

मध्य प्रदेश चुनाव: पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा में विरोध और बग़ावत के सुर बुलंद

भोपाल : पिछली बार की तरह इस बार भी भाजपा में विरोध और बग़ावत के सुर बुलंदभोपाल: मध्य प्रदेश में शनिवार (21 अक्टूबर) की शाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने उम्मीदवारों की पांचवीं सूची जारी की है, जिसमें 92 नाम हैं| इससे पहले पार्टी चार सूचियों (39+39+1+57) में 136 नामों का ऐलान कर चुकी थी|  इस तरह विधानसभा की 230 में से 228 सीटों पर उसके उम्मीदवारों के चेहरे साफ हो गए हैं. केवल गुना और विदिशा की दो सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा होना बाकी है|

इन 92 सीटों में से 66 पर भाजपा विधायक थे, जिनमें से 29 विधायकों के टिकट काटे गए हैं| हालांकि, इनमें ऐसे भी नाम शामिल हैं जो या तो स्वयं चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके थे या फिर पार्टी छोड़कर जा चुके थे, साथ ही कुछ सीटें ऐसी हैं जहां विधायक का टिकट काटकर उनके ही परिजनों को दिया गया है|

शिवपुरी से यशोधरा राजे सिंधिया ने स्वयं ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था| वहीं, कोलारस के भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में चले गए थे| जोबट से विधायक सुलोचना रावत के खराब स्वास्थ्य के चलते उनके बेटे विशाल रावत को टिकट मिला है| ये तीन नाम हटा दिए जाएं तो पार्टी ने 26 ही टिकट काटे हैं | बता दें कि पार्टी की नीति है कि वह एक परिवार में एक ही सदस्य को टिकट देगी- हालांकि विजय शाह (हरसूद) और संजय शाह (टिमरनी) अपवाद बने हुए हैं|

इसी नीति के तहत इंदौर-3 से आकाश विजवर्गीय को भी मौका नहीं मिला है| उनका टिकट कटना तभी से तय माना जा रहा था जब पार्टी ने उम्मीदवारों की अपनी तीसरी सूची में उनके पिता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर-1 से उम्मीदवार बनाया था|

वहीं, राज्य सरकार में मंत्री गौरीशंकर बिसेन की मांग पर बालाघाट से उनकी बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया गया है|

मनगवां में पंचूलाल प्रजापति का टिकट काटकर उनके भतीजे नरेंद्र प्रजापति को उम्मीदवार बनाया गया है|

चितरंगी में विधायक अमर सिंह का पार्टी ने टिकट काटा है|अमरसिंह पूर्व मंत्री जगन्नाथ सिंह के भाई हैं. इस बार जगन्नाथ सिंह की बहू राधा सिंह को इस सीट से उम्मीदवार बनाया गया है|कुल मिलाकर पार्टी ने विभिन्न कारणों से अब तक घोषित उम्मीदवारों में 30 विधायकों (यशोधरा राजे और वीरेंद्र सोलंकी को छोड़कर) के टिकट काटे हैं| सदन में भाजपा के विधायकों की संख्या 127 है| इस तरह पार्टी ने करीब एक-चौथाई विधायकों के टिकट काटे हैं|

यहां भिंड के मौजूदा विधायक संजीव कुशवाह का जिक्र जरूरी है, जो पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन पिछले साल भाजपा का दामन थाम लिया था| पार्टी ने उनका भी टिकट काट दिया है|

कुछ ख़ास फैसले-

पूर्व मंत्री और छह बार के विधायक पारस जैन का भी उज्जैन उत्तर सीट पर टिकट काटा गया है| इसके अलावा, नेपानगर सीट पर सुमित्रा देवी कासडेकर का टिकट काटा गया है| गौरतलब है कि कासडेकर वर्ष 2018 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक निर्वाचित हुई थीं, लेकिन वर्ष 2020 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था|

इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के टिकट फिर से विधायक बनी थीं| त्योंथर से तीन बार के विधायक श्याम लाल द्विवेदी का भी टिकट काटा गया है और उनकी जगह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिव तिवारी के पोते और पूर्व कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी के बेटे सिद्धार्थ तिवारी को टिकट दिया गया है. वह बीते हफ्ते ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे|

सिंगरौली से राम लल्लू वैश्य का टिकट काटा गया है| गौरतलब है कि हाल ही में इनके बेटे पर आदिवासी युवक के ऊपर गोली चलाने का आरोप लगा था| वैसे सिंगरौली ज़िले की तीनों विधानसभा सीट जो पिछली बार भाजपा जीती थी, इस बार तीनों पर ही मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं|

मंडला से मौजूदा विधायक का टिकट काटकर पूर्व राज्यसभा सांसद संपतिया उइके को उतारा गया है|

सिंधिया के लिए मिले-जुले नतीजे-

वर्ष 2020 में कुल 19 विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था. उम्मीदवारों की पिछली चार सूची में इन 19 सीटों में से 11 पर उम्मीदवार घोषित कर दिए गए थे, 8 सीट बाकी थीं, जिनमें से सात पर सिंधिया समर्थक विधायक थे. इनमें चार मंत्री भी थे|

उक्त 8 में से 5 सिंधिया समर्थक विधायकों को ही वापस टिकट मिल सका है, 3 का टिकट कट गया है, जिनमें एक मंत्री (ओपीएस भदौरिया) भी शामिल हैं| हालांकि, उनके खाते में एक अतिरिक्त सीट कोलारस की आई है. कोलारस से सिंधिया समर्थक महेंद्र यादव उम्मीदवार बनाए गए हैं| गौरतलब है कि इसी सीट से बीते दिनों भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने इसलिए इस्तीफा दिया था पार्टी यहां उनका टिकट काटकर सिंधिया समर्थक को देने का इरादारखती था|

कुल मिलाकर देखें, तो भाजपा की पांचवीं सूची में 6 सिंधिया समर्थकों को टिकट मिले हैं| इससे पहले की सूचियों में 10 सिंधिया समर्थकों को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था| कुल 16 सिंधिया समर्थक इस बार चुनावी मैदान में हैं, जबकि जिन 19 विधायकों ने उनके समर्थन में कांग्रेस छोड़ी थी उनमें से सिर्फ 13 को ही टिकट मिला है| पार्टी ने तीन अतिरिक्त सीटों (भितरवार, राघौगढ़ और कोलारस ) पर सिंधिया समर्थकों पर भरोसा दिखाया है|

सिंधिया खेमे के 9 में से 8 मंत्री चुनावी मैदान में हैं. सिंधिया की जोर आजमाइश उपचुनाव की 19 सीटों से घटकर अब 16 पर रह गई है|

भाजपा ने दिखाया अपने मंत्रियों पर भरोसा-

चौथी सूची में पार्टी ने अपने 33 में से 24 मंत्रियों को टिकट दिया था| यशोधरा राजे चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी थीं| 8 मंत्रियों को लेकर पार्टी असमंजस में थी| पांचवी सूची में पार्टी ने केवल दो मंत्रियों के टिकट काटे हैं| मेहगांव से सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया और बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन का|

हालांकि, बिसेन की जगह उनकी बेटी को बालाघाट से उम्मीदवार बनाया गया है| इसलिए तकनीकी तौर पर भाजपा ने केवल एक मंत्री का टिकट काटा है| मंत्री ओपीएस भदौरिया की जगह मेहगांव से राकेश शुक्ला को उम्मीदवार बनाया गया है|

महिला आरक्षण पर चर्चाओं के बीच पार्टी ने अब तक 228 सीटों में से केवल 29 महिलाओं को टिकट दिया है. कांग्रेस ने भी अब 22 से 29 सीट पर ही महिलाओं को मौका दिया है| मतलब कि दोनों ही दलोंलगभग 13-13 फीसदी महिलाएं मैदान में उतारी हैं|

भाजपा ने इस बार अपना वो नियम भी तोड़ दिया है, जिसके तहत वह 75 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति चुनाव लड़ाने से मना किया जाता था| पार्टी ने 81 साल के दो प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं. संयोगवश दोनों का ही नाम नागेंद्र सिंह है| एक को नागौद और दूसरे को गुढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया गया है|

फिर बुलंद हुए बग़ावत के सुर-

पिछले विधानसभा चुनाव में मत प्रतिशत के लिहाज से भाजपा को कांग्रेस से अधिक वोट प्राप्त हुए थे, लेकिन सीट संख्या कांग्रेस की अधिक थी| भाजपा के खाते में 109 सीट आई थीं, तो कांग्रेस के खाते में 114 सीट लिहाजा महज 5 सीट के अंतर से कमलनाथ के नेतृत्व में डेढ़ दशक बाद कांग्रेस ने निर्दलीय और सपा-बसपा के सहयोग से सत्ता में वापसी कर ली थी|

भाजपा को सत्ता से अपदस्थ करने में एक बड़ा योगदान पार्टी से बग़ावत करने वालों का भी था. क़रीब आधा सैकड़ा सीटों पर पार्टी को अपनों के ही विरोध और बग़ावत का सामना करना पड़ा था.

इस बार भी हालात जुदा नहीं हैं| भाजपा के लिए विरोध और बग़ावत चुनौती बने हुए हैं|

टिकट वितरण के बाद पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह पार्टी छोड़कर बसपा में चले गए हैं| बसपा ने उनके बेटे राकेश को मुरैना से उम्मीदवार बनाया है| भाजपा ने यहां सिंधिया समर्थक रघुराज कंसाना को टिकट दिया था. हालांकि, इस सीट पर कांग्रेस ने भी अपने विधायक का टिकट काटा है, जिसके चलते कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही इस सीट पर विरोध और बग़ावत की स्थिति है|

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