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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 16 Sep 2023 5:31 PM |   396 views

भोजपुरी भाषा

भोजपुरी भाषा भोजपुरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की मातृभाषा है। भारत के विशाल भू-भाग में रहने वाले जनसमूह की भाषा है। इनकी मातृभाषा भोजपुरी पहचान और अस्मिता के साथ साथ संस्कृति भी है।। तभी तो बड़े अदब के साथ इनको भोजपुरिया कहा जाता है।
 
भोजपुरी भाषा का नाम भारतवर्ष के प्रतापी राजा भोज के नाम पर पड़ा है। यह भी हमारे लिए गर्व की बात है। ऐसा उदाहरण नहीं मिलता है। भोजपुरी माटी का अतीत गौरवशाली रहा है। हम लोगों को इसे पढ़ना और  समझना चाहिए।हम लोग अपने अतीत को नहीं जानेंगे तो कौन जानेगा। भोजपुरिया भाई बहन को अपने गौरवशाली माटी और मातृभाषा संस्कृति को समृद्ध, सुंदर और आकर्षक बनाने का प्रयास करना चाहिए।
 
कुछ लोग भोजपुरी भाषा को कमजोर करने, के लिए तथ्य हीन, मनगढ़ंत, आरोप लगाते है। भोजपुरी भाषा नहीं है, बोली है, शब्द भंडार नहीं है, लिपि और व्याकरण नही है।इन लोगों पर हंसी भी आती है और इनके अज्ञता पर दुःख भी हो ता है। ऐसे आरोप भोजपुरी भाषा और भोजपुरियो के अस्मिता पर सीधा प्रहार है।इसका जवाब रचनात्मकता के साथ दिया जाना चाहिए।
 
बहुत हद तक हम लोग भी जिम्मेदार है। हम लोग अपमान को सहते आ रहे हैं,लेकिन समय बदल चुका है। उपयुक्त समय है इन आरोपों को खण्डन करने का मुंहतोड़ जवाब देने का।
 
भोजपुरी भाषा स्वतन्त्र और पूर्ण भाषा है। दुनिया की समृद्ध और ताकतवर भाषा है। बोली कहना सीधे अपमान है। भाषा का सभी गुण इसके भीतर समाहित है । भोजपुरी भाषा का व्याकरण और लिपि भी है।।लोक साहित्य के दृष्टि से सबसे धनी भाषा है।। भोजपुरी भाषा का जितना बड़ा शब्द भंडार है उतना दुनिया के किसी भाषा के पास नहीं है। प्रत्येक भोजपुरी भाषी स्वयं में अपनी पहचान मातृभाषा का विशाल शब्द भंडार है। इसको जानने और समझने की जरूरत है।इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करता हूं। कुछ लोग नकारात्मक बातें करके बाह बाही लूटने में लगे हैं। उनके लिए यह स्पष्ट संदेश है कि किसी भी भाषा का किसी भी भाषा से किसी भी तरह का खतरा नहीं होता है।
 
समय के साथ भाषाओं के स्वरूप और लिपियों में परिवर्तन होता रहता है। यदि नहीं जानकारी है तो इनका इतिहास पढ कर देखिये। इस तरह के वेबुनियाद आरोपों से बचिए।मातृभाषा भोजपुरी के पीछे एक समृद्ध विरासत है। सर्व समभाव की भाषा है। इसमें मै शब्द नही है। सबके दिल में बसने वाली भाषा है। वृहद भाव की भाषा है।इसने सब भाषा को अपनाया है और सबने इसको अपनाया है, ऐसा उदाहरण विरले मिलेगा।
 
भोजपुरी संस्कृति का गौरव शाली इतिहास है। हमने सबको अपनाया,उसका मान बढ़ाया। सर्व धर्म समभाव, सर्वे भवन्तु सुखिन,, विश्व बंधुत्व के आदर्श के साथ चलने वाली है भोजपुरी संस्कृति। हमें भोजपुरिया होने पर गर्व है। इस पवित्र भूमि को सदा शिव से लेकर देवरहा बाबा तक का आशिर्वाद मिला। आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है, संतो महात्माओं, विद्वानों, चिन्तकों,, विचारकों, साहित्यकारों, और वीरों की भूमि है।
 
मातृभूमि को स्वतंत्र कराने में यहां के लोग पीछे नहीं रहे हैं।वीर कुंवर सिंह,मंगल पांडे,शहीद रामचंद्र विद्यार्थी जैसे हजारों भोजपुरी वीरों की शहादत ने भारत के इतिहास का गौरव बढ़ाया है।
 
भोजपुरी भाषा को लेकर संवैधानिक दर्जा भोजपुरिया का अधिकार है.पूर्वजों का सपना है। इसके लिए आपको आगे आने की जरूरत है। पचहत्तर साल आजादी के गुजर गया हम अपनी मातृभाषा भोजपुरी को संविधान में सम्मान नहीं दिला सके इसमें हमारे जनप्रतिनिधि लोगों का कम दोष नहीं है।पता नहीं इनकी क्या विवशता है। कुछ नहीं इनकी इच्छा शक्ति नहीं है। मातृभाषा के प्रति आदर भाव नहीं है।
 
विडम्बना यह है कि भोजपुरी क्षेत्र के विद्वान साहित्य कारों द्वारा अपनी मातृभाषा की उपेक्षा की गई।ऐसा कहीं नहीं मिलता जो अपने महतारी भाषा की कब्र पर दुसरे भाषा का महल बनाने का प्रयास किया हो।। यह अपराध करने जैसा है।आने वाली पीढ़ी इनको माफ नहीं करेगी। आज भी कुछ लोग इस प्रकार के स्तर हीन कार्य में लगे हैं।इनके कथन का विरोध किया जाना चाहिए।
 
अपनी मातृभाषा के सम्मान के लिए आगे आइए। आन्दोलन की शुरुआत  अपने परिवार से ही कीजिए. भोजपुरी बोलिये, पढ़िये और लिखिए । संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए संकल्प के साथ आगे बढिये, आवाज बुलंद कीजिए। आपकी आवाज सम्पूर्ण भोजपुरी वासियों की आवाज बन जाये।
 
भोजपुरी भाषा, संस्कृति में अश्लीलता कैंसर रोग जैसे फैल रहा है।। इसका अपने गौरवशाली परिवार से ही विरोध कीजिए।एकता में शक्ति है, शक्ति शाली बनिये, अपनी ताकत को पहचानिये। 
– नरसिंह 
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