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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 Feb 2023 7:08 PM |   333 views

महादेव

वज्र कठोर , कुसुम कोरक ,पिनाक पान्ये नमो नमस्ते 

विश्व विजम सप्घ्म , नमो शिवाय शम्मुपते

शिव सत चित आनन्द परमानंद है | शिव सृष्टि का प्राण केंद्र है |इनके बिना जगत का कल्याण संभव नही है |शिव और शक्ति का संयुक्त रूप है ब्रह्म | शिवशक्त पात्मक्म ब्रह्म | शक्ति ही शिव और शिव ही शक्ति है |” शक्ति : सा शिवस्य शक्ति| शिव की तुलना या उपमा किसी से नही किया जा सकता | ” तुला वा उपमा शिवस्य नास्ति |

शिव अनेक नामो से जाने जाते हैं |शिव अति सरल और सीधा स्वभाव के हैं इसलिए  भोले बाबा हैं |शिव अत्यंत कठोर है इसलिए रूद्र है | शास्त्रों में वज्र जैसा कठोर और कुसुम जैसा कोमल कहा गया है | मणि जैसा सदा उद्भाषित रहते हैं तभी तो चन्द्र शेखर कहा जाता है | इनके हाथ में त्रिशूल पाप शक्तियों के नाश और साधू जन के कल्याण के लिए है | डमरू अपने सप्तसुर से सृष्टि को तरंगापित कर देता है | काव्य , छंद ,ताल ,सुर सबके जन्मदाता शिव है | मनुष्य के साथ जीव -जन्तु ,पेड़ – पौधों का कल्याण करते हैं | इसलिए पशुपति नाथ है | शिव ने कहा पशु – पक्षियों ,पेड़ -पौधों के संरक्षण से सृष्टि में संतुलन और सामंजस्य बना रहेगा  | इसलिए इनकी रक्षा करना मानव मात्र का कर्तव्य है |

शिव के दो रूप हैं – तांत्रिक शिव , पौराणिक शिव दोनों की जो व्याख्या है उसमे कोई तुलना नही है |आज समाज में देवाधि देव आदि देव सत्य सनातन शिव का जो रूप प्रचलित है वह सर्वथा अस्वीकार्य और अग्राह्य है |शिव के योगदान , अवदान और आदर्शो को स्थापित करके ही सबका कल्याण होगा |

शिव का संसार के लिए  योगदान अनुकरणीय है, आदर योग्य है | समाज के सर्वात्मक सुरक्षा के लिए कवच है | असीम , अन्नत स्वरुप परमपिता परमेश्वर सृष्टि के चर – अचर , अण्डज – पिंडज जीव के लिए अभयदान दिए हैं | शिव संसार के कल्याण के लिए हलाहल विष पी गये | इसीलिए इनको नीलकंठ भी कहतें हैं |संसार में सुसंस्कारित और सभ्य समाज के लिए वैवाहिक परम्परा की शुरुआत किया  | 

— नर सिंह 

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