विश्व दलहन दिवस
आमजनों में दालों के पोषण संबंधी महत्ता , उपादेयता व पर्यावरणीय लाभों से अवगत कराने के उद्देश्य से प्रति वर्ष 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस’ मनाया जाता है। दाल को वैश्विक खाद्य पदार्थ की मान्यता है तथा यह प्राय :सभी देशों में पैदा किया जाता है।
दाल में तरह के विटामिन तथा मिनरल्स पाये जाते हैं जो व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक पोषण के लिए आवश्यक होता है। दाल को सम्पूर्ण आहार कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी |
इसके नियमित सेवन से हडिडयों व बालों की मजबूती बनी रहती है साथ ही त्वचा भी कांतिमय बनी रहती है। शरीर को ऊर्जावान बनाये रखने तथा शरीर में होने वाले तरह तरह के संक्रमण से बचाव करने व तमाम धावों को भरने में दाल बहुत ही उपयोगी है। दालों में मौजूद अमीनो एसिड प्रौटीन का समृद्ध स्रोत बनाती है |प्रोटीन शारीरिक गतिविधियों के दौरानी होने वाले सम्म कोशिकाओं में होने वाले टूट-फूट की मरम्मत करता है।
चना दाल में मौजूद डायटरी फाइबर, व मैंगनीज जहाँ शरीर को शक्ति देता है वहीं मंसूर दाल रक्त प्रवाह को ठीक रखता है। मूंगदाल में प्रचुर मात्रा में पाया जानेवाला कैल्शियम हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। अरहर दाल में पाला जाने वाला डालटरी फाइबर कब्ज नहीं होने देता है।
भोजन में दालों की प्रधानता को देखते हुए महात्मा गोंधी ने कहा था कि ” मांसाहारियों को दाल का सेवन न के बराबर करना चाहिए। मांसाहारी तो मांसाहार से अपने भोजन में प्रोटीन की प्रतिपूर्ति कर लेते हैं परन्तु शाकाहारियों के एकमात्र दाल ही प्रोटीन प्राप्त करने का स्रोत है।” ज्ञातव्य है कि दालों से. हमें 3प्रतिशत प्रोटीन की प्राप्ति होती है।
दालों में पाया जाने वाला पालीफेनोल्स इसे एंटीऑक्सीडेंट बनाता है मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में इससे कोशिकाओं की रक्षा होती है। दिल के अच्छे स्वास्थ्य के लिए दही की तरह दाल का सेवन भी बहुत फायदेमंद है। यह हमारे शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है तथा बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है।
दाल में पोटैशियम की अधिक मात्रा तथा सोडियम की कम मात्रा रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। दालों का नियमित सेवन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है। जिसके कारण मधुमेह होने की नगण्य संभावना रहती है। दालों में प्रचुर मात्रा में फोलेट’ होता है जिसके कारण यह हमारे शरीर में न कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है।
– मनोज ” मैथिल