विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
कोई भी ऐसा दिन नही है जिस दिन समाचारपत्रों व न्यूज़ चैनलों पर आत्महत्या से सम्बंधित समाचार न आता हो | आत्महत्या की घटना किशोरवय , युवावस्था , प्रौढ़ावस्था और यहाँ तक कि वृद्धावस्था में भी देखने – सुनने को मिल रही है |
आत्महत्या एक मानसिक व्याधि है जिसका समय से उपचार नही होने पर इसका अंत देह समाप्ति से होता है |आज के इस भौतिकवादी दौर में कम से कम समय में बिना समुचित निवेश व कर्म किये अप्रत्याशित सफलता व प्रचुर धन प्राप्ति की कामना अधिकतर लोगो में होती है | येन केन प्रकारेण कम समय में ज्यादा से ज्यादा शोहरत और सम्पति की चाह रखने वाले लोग असफल होने पर निराशा और कुंठा से ग्रस्त होकर अपने जीवन को व्यर्थ समझने लगते हैं और परिणाम स्वरुप लक्ष्य होता है आत्महत्या |
आज प्रतिदिन 500 लोग आत्महत्या करतें है | नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2021 में 1, 65 , 033 लोगो ने भिन्न – भिन्न कारणों से आत्महत्या की थी |कोई प्रतियोगी परीक्षा में असफल होने पर , तो कोई व्यापार में घाटा व कर्ज के कारण आत्महत्या करता है |
अवसाद से पीड़ित व घरेलू हिंसा के शिकार लोग भी आत्महत्या करते है | वृद्ध लोग उपेक्षा के शिकार होने पर या सम्पति कोई अपना हडप ले तो भी आत्मत्या कर लेते हैं | इससे समाज विघटित होता है |
अत : हम लोगो को सबको समझाना चाहिए कि जीवन अनमोल है इसका सदुपयोग करे | एक दूसरे की मदद करे इससे समाज में एकजुटता बढ़ेगी और जो लोग आत्महत्या करने का सोचते है उनको एक नया जीवन मिलेगा |
-मनोज कुमार