अंतर्राष्ट्रीय मातृृभाषा दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मातृृभाषा दिवस के आयोजन का शुभारम्भ 21 फरवरी 1999 को संयुक्तराष्ट्र संघ की संस्था यूनेस्को द्वारा किया गया था | यह एक सराहनीय पहल है मातृृभाषाओं के प्रति | आजकल तेजी से मातृृभाषाए या तो लुप्त हो रहीं हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं |संयुक्तराष्ट्र संघ के अनुसार विश्व में 6000 भाषाए हैं , जिसमे 43 भाषाएं लुप्त हो गई हैं | भारत में 193 भाषाएँ लुप्त होने की कगार पर हैं |
प्रत्येक जीव में भाव अभिव्यक्ति का गुण हैं | भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम ही भाषा हैं | मातृृभाषाए सांस्कृतिक निरन्तरता का सूत्र है |यह मानव के अतीत और वर्तमान को एक सूत्र में बांधती हैं | मातृृभाषाओ को संरक्षित करना ,सुरक्षित करना और सम्बंधित करना ही अंतर्राष्ट्रीय मातृृभाषा दिवस का मूल उद्देश्य है |
मातृृभाषा से ही किसी व्यक्ति और समुदाय की पहचान बनती है | मातृृभाषाए ही हमारी साहित्यिक और कलात्मक अभिव्यक्ति की जरिया होतीं हैं | किसी भी जनगोष्ठी की मातृृभाषा का लुप्त होना उसके लिए दुर्भाग्य पूर्ण है | विश्व की सभी भाषाओँ की प्रति सम्मान रखने और उनको विकसित करने का संस्कार हम सभी लोगो में होना चाहिए |
नरसिंह ( वरिष्ठ पत्रकार )