जन्म के समय लिंग अनुपात भारत में अभी भी कम – सुमन मौर्य
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय की डॉ सुमन प्रसाद मौर्य सह प्राध्यापक एवं विभाग अध्यक्ष मानव विकास एवं परिवार अध्ययन सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय ने बालिका दिवस के अवसर पर बताया कि 2008 से ही 24 जनवरी बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बालिका के प्रति समाज में असमानता को लेकर जागरूकता लाना है ।
बालिका दिवस को मनाने का उद्देश्य भारत की बालिकाओं की शिक्षा पोषण, बाल विवाह, न्यायिक अधिकार, चिकित्सा सुविधा सुरक्षा और सम्मान से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना एवं जागरूकता ला कर स्थिति में सुधार लाना है। आंकड़े बताते हैं कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत मैं लिंग अनुपात 1000 बालक पर केवल 927 बालिकाएं थी । किंतु गत दो दशकों से पुरुष महिला लिंग अनुपात में लगातार सुधार देखा गया है । 2001 की ना अनुसार प्रति एक हजार पुरुष पर 933 महिलाओं का अनुपात था और 2011 में यह अनुपात 1000 पर 940 हो गया है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार 2019 – 2021 में लिंग अनुपात में आंकड़े अब महिलाओं के पक्ष में है । आंकड़े बताते हैं कि प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं किंतु जन्म के समय लिंग अनुपात की स्थिति अभी भी कम है जो 1000 बालक बालों को पर 927 बालिकाएं। कम अनुपात के आंकड़े यह इशारा करते हैं कि समाज में अभी भी जागरूकता लाने की आवश्यकता है ।
भारत सरकार ने बालिकाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए बालिका बचाओ , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम व स्कीम चला रही है एवं बालिका शिक्षा के लिए मुफ्त अथवा आर्थिक सहायता देकर शिक्षा देने की व्यवस्था एवं उच्च शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की है जिससे यह सुधार आए हैं।
24 जनवरी बालिका दिवस के रूप में मनाने के लिए मंत्रालय चर्चा के लिए कोई विषय देती रही है। 2021 में बालिका दिवस का विषय था ‘डिजिटल जेनरेशन आवर जेनरेशन’ यानी डिजिटल पीढ़ी हमारी पीढ़ी ।
2020 में विषय था ‘माय वॉइस आवर कॉमेंट फ्यूचर’ यानी मेरी आवाज हमारा सामान्य भविष्य। इस वर्ष के लिए अभी मंत्रालय ने कोई विषय नहीं दिया है किंतु फिर समाज अपने अपने स्तर पर इस दिवस को मनाने के लिए अलग-अलग प्रयास कर सकता है ।
इस दिवस को बनाने के लिए आप अपने परिवार में बालिका के जन्म को उत्सव के रूप में मनाए; घर में बेटी होने का होने पर गौरवान्वित हो और बेटी को पराया धन की मानसिकता का विरोध करें, लड़का और लड़की के में भेदभाव ना करें|बालिकाओं को स्कूल में दाखिला दिलवा कर उसकी शिक्षा पूर्ण करने में सहयोग करें; लिंग आधारित कार्यों को चुनौती दे और बेटी और बेटियों को हर तरह के कार्य सिखाएं; पुरुषों को महिलाओं का सम्मान करना सिखाए एवं सम्मानित भाषा का प्रयोग करना बताएं|
लिंग परीक्षण कानून कानूनन अपराध है इसको किसी भी रूप में बढ़ावा ना दें; महिलाओं के लिए हिंसा मुक्त परिवेश तैयार करें ; दहेज और बाल विवाह को परिवार और समाज में विरोध करें; स्वयं अपने अधिकार के प्रति जागरूक हो और अपनी बालिकाओं को भी जागरूक रखें ।
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