आपका फैमिली फार्मर
आज हम क्या खा रहे हैं ये हमे आँखों से तो दिख रहा है पर वो किस प्रतिशत तक शुद्ध है इस तथ्य से कितना वाकिफ हैं हम सब !
क्या आपको पता है जिस मूंग उर्द दाल को हम खा रहे हैं उसे पकाने के लिए भी हरबीसाईड छिड़के गए हैं!
- जिस चावल को हम खा रहे हैं उसे चमकाने के लिए पोलिश करके सफेद बनाया गया है !
- जिस गेहूँ के आटे को हम खा रहे है उसमें से भूसी गायब है जो मसल्स को मजबूती देने और शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता देने के लिए अनेक एंजाइम, विटामिन, फाइबर से भरी हुई थी !
- जिस दाल को हम खा रहे हैं वो सिर्फ कीटनाशक जहर से कीड़ों से बचाते हुए आप तक आज के बाजार द्वारा लाया जा रहा है !
- जिस तेल को हम खाना पकाने में प्रयोग कर रहे असल मे FSSAI और अन्य भारतीय नियामक द्वारा भी पाम ऑयल मिलाने का अधिकार रखते हुए, कोल्ड प्रेस तकनीक के उलट सिद्धातों पर आप तक पहुंच रहा है !
- जिन सब्जियों (बैगन, टमाटर, भिन्डी इत्यादि को हम खा रहे हैं उन्हें कीड़ों से बचाने के लिये एक से एक जहरीले रसायन से नहलाया जा रहा है ताकि इल्ली जैसे कीड़ों के खाते ही उनके शरीर मे जाकर ये केमिकल्स उन्हें मार दें।
- जिन लौकी, परवल, मिर्च जैसे सब्जियों को हम खा रहे हैं उन्हें ज्यादा रंगीन दिखाने के लिये किसी भी रंगीन केमिकल से नहलाया और बाजार में परोसा जा रहा है।
- जिन केले, पपीते, आम जैसे फलों को हम खा रहे हैं वो कार्बाइड से भी एडवांस इथेलीन के कृत्रिम रासायनिक केमिकल से डुबो नहला कर पकाये जा रहे हैं।
- इसे खाकर हम कहाँ जाने की तैयारी में है ?
एकांत समय मे सोचिये के हमारे पुरखे अपनी बढ़ती उम्र में भी इतने निरोगी क्यों थे, क्योंकि उनके पास खुद स्वच्छ शुद्ध आहार था और जीवनशैली थी जिसे जीकर और खाकर वो वर्षों तक स्वस्थ रह जाते थे और दीर्घायु रहते थे।। वर्तमान जीवनशैली में यह सम्भव नही के हरेक व्यक्ति अपने परिवार के लिये खुद खाद्यान उगाये।
फैमिली डॉक्टर की तर्ज पर आज के युग की जरूरत फैमिली किसान है। वो व्यक्ति जिसे अपनी रोजी रोटी के लिये और जमीन के सही उपयोग के लिए अन्न तो उगाना है पर इससे आपको आईसीयू का रास्ता नही दिखाना है। ऐसे व्यक्ति को खोजिये, उन्हें जुड़िये उन्हें सिखाइये, सीखिए और दूसरे लोगों को भी जागृत करिये कि ऐसे किसानों को जुड़े और इनके शुद्ध बिना किसी जहर वाले उत्पाद को लें और अपने जीवन को भी सात्विक उत्पाद की तरफ जोड़े जो विशुद्ध देसी तरीके से देसी बीजों से और सीधे किसान से लिये जा रहे हों। करके देखिए अच्छा लगता है। सीधे किसान से जुड़ें और अपने जीवन व्यवहार में खुद अंतर पायें।
फैमिली फार्मर की इस खोज में खेतो, गांवों, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च सेंटर या ऐसे जागरूक किसानों साथियो के खेत विजिट करें और खेती के देसी बीजों और शुद्ध जैविक तरीकों को देखें और शुद्धता से परिपूर्ण आहार का स्वाद लें।
कोशिश करिये ताकि आप भी स्वस्थ जीवन जीये और एक किसान को उसकी फसल का उचित दाम बिना किसी बिचौलिये को कमीशन कटवाए सीधे आपकी थाली तक पहुंचाने और अपने परिवार का भर पोषण कर पाने की संतुष्टि मिले।
डॉ. शुभम कुमार कुलश्रेष्ठ
सहायक प्राध्यापक-उद्यान विज्ञान
रबिन्द्रनाथ टैगोर कृषि विश्वविद्यालय, रायसेन, मध्य प्रदेश
एवं श्री धीरज गहलोद ( जैविक किसान ,नागपुर )
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