राष्ट्र कवि दिनकर
समय चक्र रेखांकित करती
हैं, दिनकर की रचनाएं
विविधा , क्रांति -बीर रस में
ही लिखते थे वे कविताएं।
सामाजिक समरसता – बीरों की
सैन्य पराक्रम लिखते थे
परशुराम और कर्ण के जैसे
ही पात्रों को चुनते थे।
चाहे शूद्र या पंडित- ठाकुर ,
सबका हो आदर सम्मान
मेहनत को ऊपर किए, आज
हर्षित हैं श्रमिक, किसान- जवान।
लेखनी देखकर ओजस्वी
स्याही भी कभी सिसकती थी
रवि की किरणें भी थम जाती,जब
कलम से आग निकलती थी।
शोषण के विरुद्ध स्वर मुखरित
थे,राष्ट्रीयता हर शब्दों में थी
निज भाषा से उन्नति प्रशस्त,
हिंदी – उर्दू लब्जों में थी।
उर्वशी, रेणुका – रश्मि रथी,
प्रण भंग मूल रचनाएं
कुरुक्षेत्र की अनुपम पात्र चयन
से महक उठी कविताएं।
ज्ञान पीठ और पद्म विभूषण
साहित्य अकादमी पुरस्कार
गद्य – पद्य लेखक सम्मानित,
अद्भुत क्षमता के निबंधकार ।
जब तक धरती आकाश है,
दिनकर नाम सदा महकेगा
साहित्याकाश में सूरज, चांद
सितारों सा चमकेगा।
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