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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 17 Oct 2020 5:26 PM |   717 views

निर्गुण

 
कवनी नगरिया हमरे संवरिया
छोड़ि के बाग तड़ाग रे
ग‌इले लिहले सुहाग रे
घरवा लियाइ के हमें ब‌इठवले
 
हथवा के मेंहदी कबो ना छुटले,
डंसलस यमराजी नाग रे
ग‌इले लिहले सुहाग रे
सूरुज चनरमा चमकी अकासे|
 
बाकिर सेनुरवा रही नाहि माथे
क‌इसन ह ई अनुराग रे
ग‌इले लिहले सुहाग रे
कवनों चलाकी कामे ना आई |
 
ढूहा पे अपने खुदे भहराई
उड़ि उड़ि बोले काग रे
ग‌इले लिहले सुहाग रे
मूअल न‌इखन बदलल मकान बा |
 
तिकवत हमके उनुके परान बा
खेलब उनुका से फाग रे
ग‌इले लीहले सुहाग रे।
 
( डाॅ0 भोला प्रसाद आग्नेय )
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