प्रशिक्षणार्थियों ने सीखें ढींगरी मशरूम उत्पादन की तकनीक
देवरिया /भाटपाररानी – आत्म निर्भरता के लिए प्रधानमंत्री रोजगार कल्याण अभियान के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र देवरिया द्वारा प्रवासी कामगारों को दिए जा रहे प्रशिक्षण के तहत दिनांक 2 सितंबर 2020 से 4 सितंबर 2020 तक मशरूम उत्पादन पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है प्रशिक्षण सत्र का उद्घाटन करते हुए केंद्र के प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव ने मशरूम के उगाए जाने वाले विभिन्न किस्म और उनके महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा की ।
उन्होंने विभिन्न मौसम में तापमान के अनुकूल उगाए जाने वाले विभिन्न किस्मों के औषधीय एवं पोषणीय मान की विस्तार से चर्चा की। प्रभारी ने बताया कि मशरूम का नाम लेते ही सभी लोगों के जेहन में मशरूम बटन का ही नाम आता है लेकिन बटन के अलावा कई ऐसे मशरूम जैसे ढींगरी जिसे ओयस्टर मशरूम भी करते हैं मिल्की या दूधिया मशरूम पुआल या पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम को भी आसानी से उगाया जा सकता है ढींगरी मशरूम उस समय तैयार किया जा सकता है जब बटन मशरूम का उत्पादन संभव नहीं होता। प्रशिक्षण के दौरान दूसरे दिन मशरूम उत्पादक स्वतंत्र सिंह ने किसानों को ढींगरी मशरूम उगाने के तकनीक के बारे में विस्तार से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि ढींगरी मशरूम को कम लागत में घर पर आसानी से उगाया जा सकता हैं और इसे कोई भी बड़ा बच्चा बूढ़ा युवा एवं महिलाएं उगा सकती हैं। केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर आर पी साहू ने बताया कि ज्यादातर लोग बटन मशरूम को ही मशरूम मानते हैं l लोगों में मशरूम के बारे में जागरूकता ना होने के कारण ऐसा करते हैं मशरूम किसी मायने में बटन मशरूम से कम नहीं है चाहे वह पोषण मान की बात हो चाहे औषधीय मान की क्या स्वाद की बात हो या लोगों की पसंद की हो।
इस कारण लोगों को ढींगरी मशरूम को अपनाने से परहेज नहीं करना चाहिए। ज्यादा तर ढींगरी मशरूम को जैविक आधार पर उगाया जाता है इस मामले में भी ढींगरी मशरूम बटन मशरूम ज्यादा सेहतमंद होती है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न विकास खंडों से देवेंद्र यादव शिव सागर शर्मा प्रियांशु कुमार अशर्फी गुप्ता राजेश यादव मनोज कुमार रजक आशीष मिश्रा दीनबंधु गुप्ता संजय कुमार भारती जयप्रकाश भरत कुमार चौहान बृज किशोर शर्मा मोनू मिश्रा त्रिपुरारी कुमार मिश्रा सहित 35 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया