सहजन एक फायदे अनेक
सहजन बहुउपयोगी सब्जी फसल है। सहजन की पत्तियों में गाजर से चार गुना अधिक विटामिन-ए, दूध से दो गुना प्रोटीन, नीबू एवं संतरा से सात गुना अधिक विटामिन – सी, दूध से 4 गुना अधिक कैल्शियम, केला से 3 गुना पोटैशियम , तथा पालक व चौलाई से अधिक लौह तत्व पाये जाते है। जहां ज्यादातर महिलाएं एवं बच्चें कुपोषण के शिकार है। इसका उपयोग वरदान साबित हो सकता है।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा.रवि प्रकाश मौर्य निदेशक प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी भाटपार रानी देवरिया के अनुसार सहजन की एक बर्षीय किस्में प्रचलित हो रही है, जिससे एक बर्ष में 2 बार फलत प्राप्त होती है। 5-6 सदस्यों वाले परिवार को एक सहजन के पेड़ से 2-3 माह तक सब्जी की उपलब्धता के साथ-साथ पोषकतत्व भी उपलब्ध कराता है।
मृदा एवं जलवायु- सहजन के लिए जल निकास वाली दोमट या बलुई दोमट भूमि अच्छी होती है। गर्म ,अर्द्ध-शुष्क एवं नम जलवायु में आसानी से सहजन उगाया जा सकता है।
प्रजातियाँ- पी.के.-1, यह बर्ष में दो बार (फरवरी-मार्च , ए्वं जून- सितंबर ) फलत देती है। पी.के.-2, कोकण रुचिरा, कोयम्बटूर-2 ।
प्रसारण- बहुबर्षीय स्थानीय किस्में सहजन का प्रसारण मुख्यतः तने द्वारा किया जाता है। जबकि एक बर्षीय किस्मों का प्रसारण व्यावसायिक स्तर पर बीज से किया जाता है।
रोपाई का समय एवं विधि- 50 घन सेमी (50 सेमी. लम्बा, 50 सेमी. चौड़ा, 50 सेमी. गहरा) आकार का गढ्ढा तीन- तीन मीटर की दूरी पर अप्रैल – मई माह में खोद कर छोड़ दें। इस प्रकार एक एकड़ क्षेत्रफल में 450 पौधे होगे। गड्ढे खोदने के एक माह बाद 4-5 किग्रा सड़ी गोबर की खाद, कम्पोस्ट नीम की खली 200 ग्रा. मिट्टी में मिला कर 15 सेमी. ऊपर तक गढ्ढे की भराई कर दें। बर्षा के बाद मिट्टी बैठ जाय तो जुलाई से सितंबर तक एक फीट बढ़वार वाले पौधों का रोपण करें।
सहजन के साथ अन्तः फसलें- सहजन की दूरी 3 मीटर पर रखी जाती है, इसलिए इनके मध्य फलों में पपीता, शरीफा, फालसा, अनार आदि तथा सब्जियों में बैगन,मिर्च, भिण्डी, लोबिया, स्वीट या बेबी कार्न को लगाया जा सकता है। मधु उत्पादन हेतु इसके साथ सूर्यमुखी,गेंदा, कुसुम आदि की फसलें लाभप्रद है।
सिंचाई- गर्मी में 7-10 दिन के अन्तराल पर एवं जाडे़ मे 15-20 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
फलियों की तुड़ाई- बहुबर्षीय स्थानीय किस्मों की फलियों की तुड़ाई मार्च – अप्रैल में डाल को काट कर की जाती है। फलियों की उपलब्धता 20 से 25 दिन तक रहती है। जबकि उन्तशील एक बर्षीय किस्मों में फलियों की उपलब्धता 35 से 40 दिन तक रहती है।
उपज- एक बर्षीय किस्में जैसे पी.के-1 ,पी.के.-2 से प्रथम बर्ष 15-20 किग्रा, फलियां प्रति पौध प्राप्त होता है। जबकि दूसरे बर्ष से. 30-35 किग्रा फली प्राप्त होती है। इस प्रकार स्वयं के उपयोग के लिए 1-2 पौधे लगाये। तथा व्यावसायिक खेती के लिए भूमि की जोत अनुसार 125- 250 वर्गमीटर (1-2 कट्ठा/ विश्वा) में भी खेती कर सकते है।
बीज-पौध की जानकारी एवं आवश्यक सुझाव हेतु जनपद के उधान विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र ,या अन्य सम्बंधित संस्थाओं आदि से सम्पर्क किया जा सकता है।
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