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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 7 May 2024 7:15 PM |   63 views

रवींद्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे -विशाल श्रीवास्तव

गोरखपुर -सरस्वती शिशु मंदिर (10+2 )पक्की बाग गोरखपुर में रविंद्र नाथ टैगोर की जयंती  मनाई गई। जिसमें विद्यालय के आचार्य विशाल  श्रीवास्तव ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।कई कलाओं से परिपूर्ण थे। जिनके ऊपर संपूर्ण भारत का गर्व था।
 
एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर, जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्र-गान ‘जन गण मन’ और बाँग्लादेश का राष्ट्र गान ‘आमार सोनार बांङ्ला‘। रवींद्रनाथ टैगोर गुरुदेव के नाम से प्रसिद्ध थे। उन्होंने साहित्य कला के माध्यम से भारत की संस्कृति और सभ्यता को पश्चिमी देशों मे फैलाया। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा वे ही थे।
 
महान विभूति रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में पिता देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता शारदा देवी की तेरहवीं संतान के रूप में हुआ था। देवेंद्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाज के नेता थे, जबकि दादा द्वारकानाथ टैगोर जमींदार और समाज सुधारक थे। छोटी आयु में ही माँ का निधन हो गया था। आठ वर्ष की उम्र में उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्‍होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था।
 
17 वर्ष की अवस्था मैं वह अपनी शिक्षा के लिए लंदन चले गए। रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है गुरुदेव नाम महात्मा गांधी जी के द्वारा दिया गया था जबकि गांधी जी का महात्मा नाम रविंद्र नाथ टैगोर के द्वारा दिया गया था ।
 
वह एक अच्छे अध्यापक भी थे उन्होंने एक यूनिवर्सिटी सांतिनिकेतन नाम की स्थापना भी की।
उनकी एक प्रमुख पंक्ति हमारे जीवन के लिए प्रेरणादायक बनी “आप केवल खड़े होकर, पानी को देखते हुए समुद्र पार नहीं कर सकते।” 7 अगस्त 1941 को महान उपन्यासकार ने स्वतंत्र भारत देखे बिना ही अपनी अंतिम सांस लिए।
 
साथ ही विद्यालय में मातृ भारती का गठन संपन्न हुआ । किसी भी बालक के विकास में माता की भूमिका अहम होती है। इसीलिए माता को प्रथम शिक्षिका भी कहा गया है। ईश्वर सभी जगह विद्यमान नहीं रह सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया है। घर हो, संस्था हो ,समाज हो या देश हो उनकी व्यवस्था सुचारू ढंग से चले इसके लिए संगठन की आवश्यकता होती है। इसी क्रम में विद्यालय में मातृ भारती का गठन किया गया। जिसमें अधिक संख्या में माताएं उपस्थित रही।
 
प्रस्तावकी विद्यालय की प्रथम सहायक रुक्मिणी उपाध्याय द्वारा रखा गया एवं गठन विद्यालय की मातृ भारती प्रमुख आचार्या सुधा त्रिपाठी द्वारा किया गया ।
 
चयन इस प्रकार रहा अध्यक्ष नूतन त्रिपाठी, उपाध्यक्ष संगीता शर्मा, मंत्री प्रियंका जायसवाल, सह मंत्री अनिता मालवीय, मीडिया प्रमुख रीनम उपाध्याय एवं मीडिया सहायक पुष्पा सिंह तथा अन्य सदस्यों का गठन किया गया | इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
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