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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 7 May 2020 3:27 PM |   339 views

बुद्ध पूर्णिमा

” जीवन में जिस दिन आप अपने अन्दर की बुराईयों को समाप्त कर उच्च विचार तथा अपनी आत्मा को शुद्ध करके दिन की शुरुआत करतें है ,वही सुप्रभात होता है |

                                    ‘  महात्मा बुद्ध ‘

एक ऐसा महामानव जिस दिन जन्म लेता है , उसी तिथि को ज्ञान ( बोधि ) को प्राप्त करता है , उसका महापरिनिर्वाण भी उसी तिथि को होता है |इस महामानव का नाम गौतम बुद्ध है |इनका जन्म वैशाख पूर्णिमा को ईसा से पूर्व छठी शताब्दी में हिमालय की तराई के कपिलवस्तु नामक स्थान पर हुआ था |इनके बचपन का नाम सिद्दार्थ था |इनके जन्म दिन को बौद्ध धर्मावलम्बी उत्सव के रूप में मानते हैं ,जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है |

जीवन के दृश्यों को देखने से इनके मन में विश्वास पैदा हुआ कि संसार में केवल दुःख ही दुःख है |अत : दुःख से मुक्ति पाने के लिए इन्होने संन्यास ग्रहण किया |इन्होने दुखो के मूल कारण और उनसे मुक्त होने के उपायों को जान्ने का प्रयास किया |दृढ़ संकल्प के साथ शुद्ध मन से घोर साधना में लग गये |इस तरह दुःख क रहस्य को समझने के लिए अखंड चेष्टा की |अंत में गया के एक वृक्ष के नीचे साधना करते हुए पूर्ण ज्ञान ( बोधि ) प्राप्त हुआ | बोधि प्राप्त करने के पश्चात बुद्ध कहलाये |आज इस वृक्ष को बोधि वृक्ष और स्थान को बोध गया के नाम से जाना जाता है , जो बिहार राज्य में है |इसी बोधि के आधार पर बौद्ध धर्म तथा बौद्ध दर्शन अस्तित्व में आया |आगे चलकर बौद्ध धर्म का अधिक- प्रचार प्रसार हुआ |यहाँ तक कि दक्षिण में लंका , वर्मा थाईलेंड उत्तर में तिब्बत , चीन जापान , कोरिया तक फ़ैल गया |

बुद्ध के उपदेशो का जो कुछ भी ज्ञान आज हमे प्राप्त होता है वह त्रिपिटक से ही हुआ है |त्रिपिटकों के अंतर्गत तीन पिटक है |

विनय पिटक 

सुत्त पिटक 

अभिधम्म पिटक  

विनय पिटक में संघ के नियमो का , सुत्त पिटक में बुद्ध के वार्ता लाप तथा उपदेशों का ,अभिधम्म पिटक में इनके दार्शनिक विचारों का संग्रह हुआ है |इन पिट्को में प्राचीन बौद्ध धर्म का वर्णन मिलता है |कालांतर में महात्मा बुद्ध के अनुयायियो की संख्या अधिक बढ़ गयी और धार्मिक मतभेद के कारण बौद्ध धर्म दो शाखाओं में विभक्त हो गया |

   1- हीनयान                                2- महायान 

महत्मा बुद्ध का दर्शन जीवों के दुखों का अंत किस प्रकार हो सकता है , इस पर केन्द्रित था |

                                     ( नरसिंह )

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