कोरोना एक चेतावनी
महामारी के बारे में बहुत से चेतावनियाँ वैज्ञानिक , शास्त्रीय दृष्टान्त एवं धार्मिक उपदेश मिलते हैं , इसका विशेष रूप से विश्लेषण होना होना चाहिए | आज कोरोना वायरस के प्रभाव से सम्पूर्ण विश्व त्राहि- त्राहि कर रहा है |इसके बारे में में न तो कोई ठोस जानकारी है और न ही कोई दवा , जिससे जनहानि का विश्व – विस्तार रोका जा सके |इसके लिए वैज्ञानिक दृष्टि और उसका समाधान आने के पहले संवेदनशीलता ,सामाजिक दूरी स्वच्छता प्रतिरोध की क्षमता का बढ़ा कर मानसिक रूप से धैर्य बढ़ाना बहुत आवश्यक है |
जब इस प्रकार की दुख :शक्तिया रचनात्मकता पर हमला करती हैं तो हमे वैज्ञानिकता के साथ – साथ परम्परागत बिन्दुओं को समेकित करके रोग मुक्त संसार रचने की कवायत करनी चाहिए |इससे यह जान लेना चाहिये कि विज्ञान की विवेकपूर्ण प्रगति से मानव प्रकृति को अपने कल्याण के लिए प्रयोग में लाकर जीवन को सम्पूर्ण समृद्ध बना सकता है |सर्वे भवन्तु सुखिनः के आदर्शों को धरती पर ला सकता है |
आज के सन्दर्भ में प्रशासकीय ,चिकित्सकीय ,मानवीय ,सांस्कृतिक सभी प्रकार की एकता चाहिए |अभी भी हमे समझना चाहिए कि हम कहाँ भूल कर रहें हैं |प्रकृति निश्चित रूप से अपनी रक्षा स्वयं करती है और सामंजस्य बनाये रखती है |
आज covid – 19 के प्रभाव के परिप्रेक्ष्य में भारत को देखें कोरोना ने विश्व को लॉक डाउन कर दिया |W. H. O. की रिपोर्ट के अनुसार कोरोना से बचाव का कोई कारगर ईलाज नही है|इसके विस्तार की श्रृंखला को तोड़ने के लिए एक मात्र उपाय लॉक डाउन ही है |विश्व के सभी देशों ने लॉक डाउन किया और भारत ने भी किया है किन्तु कुछ चूक भी हो गयी |जैसे कि—–
1- भारत में कोरोना यूरोप और अरब देशों से आया | भारत सरकार को बुद्धिमता पूर्वक निर्णय लेते हुए भारत की सीमाओं को तत्काल सील करना चाहिए था |
2 – भारत के प्रवासियों को लाने या सुरक्षा के लिए मास्टर प्लान बनाया जाता |सम्पूर्ण भारत को खतरे में डालकर कुछ लोगो का हित करना उचित नही है |
3 – प्रधानमंत्री जी द्वारा पहले जनता कर्फ्यू लगाया गया जिसका सबने समर्थन किया | फिर 21 दिन के लिए लॉक डाउन किया गया |किन्तु दिहाड़ी व प्रवासी मजदूरों के बारे में नही सोचा गया , मजदूरों ने अपना धैर्य तोड़ दिया और शहरों से अपने गाँवों के लिए लम्बी दूरी की यात्रा पर पैदल ही चल दिए |क्योकि उनके पास पेट भरने का कोई इंतजाम नही था |यह सब योजनाबद्ध तरीके से होता तो ऐसी स्थिति उत्पन्न नही होती |
( नरसिंह )