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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 12 Nov 2019 9:22 AM |   865 views

कार्तिक पूर्णिमा का स्नान प्रतीक है भारतीय संस्कृति का

भारत की सांस्कृतिक विविधता ही इसकी खूबसूरती है ,जितने भी पर्व , त्यौहार ,उत्सव हैं सब में कहीं न कहीं यह झलक देखने को मिलती है |हमारे देश के पर्व किसी न किसी ऐतिहासिक घटनाओ पर आधारित हैं या पौराणिक कथाओ पर |प्रकृति इन दोनों तथ्यों की साक्षी है कि हमारा आस्तित्व प्रकृति प्रदत सम्पदाओ पर निर्भर है |प्रकृति और मनुष्य के बीच मधुर और विवेकपूर्ण सम्बन्ध कैसे कायम रहे ,मानव सारभौमिक आदर्श को जीवन का आधार बनाकर आगे बढ़ता रहे |मानव मूल्यों की स्थापना ,रक्षा की पूरी कहानी पर्वों के माध्यम से बताई जाती है भारत के उत्तर से दक्षिण तक , पश्चिम से पूरब तक , मनाये जाने वाले सभी त्यौहार एक ही सन्देश देते हैं ,प्रकृति के साथ विवेकपूर्ण सम्बन्ध ही हमे मोक्ष तक पंहुचा सकता है |इसी तरह का एक सन्देश देता है – कार्तिक पूर्णिमा का स्नान |

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक का महीना आध्यात्मिक और शारीरिक ऊर्जा का सर्वश्रेष्ठ महीना है |कार्तिक पूर्णिमा हमे उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है जिसमे प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृतियों का नाश हो जाता है | 

कार्तिक पूर्णिमा को देवताओ की दीपावली के रूप में मनाया जाता है |इस माह की त्रयोदशी ,चतुर्थी और पूर्णिमा को पूराणो में अति पूण्यकारी कहा जाता है |स्कंध पूरण के अनुसार कार्तिक माह  में प्रतिदिन सूर्योदय के पहले स्नान करने से पूण्य मिलता है |चंद्रमा को औषधि का देवता मन जाता है ,कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सोलह कलाओ से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करतें हैं जिससे औषधि की स्पंदन क्षमता बढ़ जाती है | इस प्रकार तमाम पौराणिक कथाओ के माध्यम से कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र नदियो में स्नान के महत्व को बताया गया है |

 

मान्यता है कि त्रिपुरासु नमक राक्षस का भगवन शिव द्वारा कर्तिक पूर्णिमा के दिन ही वध किया गया था |इसलिए इसे त्रिपुरासु पूर्णिमा भी कहते हैं |आज ही के दिन सिखो के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म भी हुआ था |सिख धर्मावलम्बियों ने इस दिन को प्रकाश उत्सव के रूप मानने लगे |इस वजह से भी कार्तिक पूर्णिमा की महत्ता है |इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है |

                                               (लेखक –  नरसिंह )

   

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