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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 25 Oct 2019 4:59 PM |   910 views

दिवाली की ऐतिहासिक महत्व

 

इतिहास की खोज करने से दिवाली मनाये जाने के कारण के रूप में तीन तथ्य सामने आते हैं |

1- श्री राम के 14 वर्षों बाद वन से वापसी की ख़ुशी में – श्री राम की कथा सबसे पहले ऋषि बाल्मीकि ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ” बाल्मीकि रामायण “में लिखी है |यह पौराणिक युग की बात है |आज से 2500 वर्ष पहले कथा है कि जब राम 14 वर्ष के बाद अयोध्या वापस आये थे तो उनके आगमन की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने बड़े धूम -धाम से पुरे नगर में दिए जलाये थे |  

2 – नरकासुर राक्षस की मृत्यु के पश्चात – श्री कृष्ण द्वारिका के राजा थे |श्री कृष्ण आज से 3500 वर्ष पूर्व तारक ब्रह्म के रूप में धर्म स्थापना के उद्देश्य से इस धुल -धूसरित धरा पर आये थे |उनकी पत्नी का नाम सत्यभामा था |श्री कृष्ण किसी महत्वपूर्ण राज्य कार्य  से कहीं चले गये थे |इसी बीच नरकासुर राक्षस ने द्वारिका पर आक्रमण कर दिया |श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा ने नरकासुर का संहार कर दिया श्री कृष्ण जब वापस द्वारिका आए तो उन्हें इस बात का पता चला |उन्हें अपार हर्ष हुआ |उन्होंने नरकासुर के वध एवं सत्यभामा के वीरता पूर्ण प्रदर्शन के उपलक्ष्य में द्वारिका के प्रत्येक स्थान पर दीप जलवाए |कालांतर में सत्यभामा को लक्ष्मी की संज्ञा देकर लक्ष्मी की पूजा प्रारंभ की गयी |

3 – महावीर के महानिर्वाण के पश्चात – भगवान महावीर जैन संप्रदाय के 24 वे तीर्थंकर थे |उनका जन्म आज से 2500 वर्ष पूर्व वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था |72 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हुई |मृत्यु के समय उनके शोकाकुल शिष्यों ने उनसे कहा कि आपके महानिर्वाण के बाद हम लोगो का जीवन अंधकारमय हो जायेगा |कार्तिक अमावस्या को उनका महानिर्वाण हुआ और कार्तिक अमावस्या वर्ष का घना अँधेरी रात भी होती है |अत: महावीर ने इस रात को दिवाली मनाने की बात कही थी |तब से जैन संप्रदाय के समर्थकों द्वारा उनके महानिर्वाण दिवस  को दिवाली के रूप में धूम -धाम से मनाया जाता है |

   ( कृपा शंकर पाण्डेय , बिहार )   

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