दिवाली का बौद्ध धर्म में महत्व
दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मो में भी मनाया जाता हैं जैसे कि जैन, बौद्ध व सिख धर्म। इन सभी धर्मो में इस दिन कुछ न कुछ
दिवाली का त्यौहार हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मो में भी मनाया जाता हैं जैसे कि जैन, बौद्ध व सिख धर्म। इन सभी धर्मो में इस दिन कुछ न कुछ
नवरात्रि का त्यौहार भारतवासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | जिस प्रकार एक दिन में दो सन्धि काल होते हैं , उसी प्रकार वर्ष में दो नवरात्रि के त्यौहार
श्री कृष्ण के बारे में अनेक कथाएं प्रचलित है , कृष्ण हैं महासम्भूति तारक ब्रह्म | कृष्ण एक महान संकल्प के साथ इस धरा धाम पर अवतरित हुए थे |
” जीवन में जिस दिन आप अपने अन्दर की बुराईयों को समाप्त कर उच्च विचार तथा अपनी आत्मा को शुद्ध करके दिन की शुरुआत करतें है ,वही सुप्रभात होता है
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। यह त्यौहार ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु के उपलक्ष्य
भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें (24 वें) तीर्थंकर है। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था। तीस
किसी पर्व के ऐतिहासिक या पौराणिक पृष्ठभूमि को नकारा नही जा सकता है |पर्व मानव सभ्यता और संस्कृति के वाहक हैं , जो पीढ़ी दर पीढ़ी तक जीवंत होतें है
बसंत महोत्सव का ही दूसरा नाम होली है |यह त्यौहार मूल रूप से आर्यों का त्यौहार है |आप सभी जानते हैं कि आर्यों की मातृभूमि मध्य एशिया थी |यह क्षेत्र
महाशिवरात्रि का पर्व हिन्दुओं के लिए अति महत्वपूर्ण है |जिसके आराध्यदेव देवादिदेव ‘ शिव ‘हैं |शिव के पूजा अर्चना के साथ यह पर्व मनाया जाता है | ” नमस्तुभ्यम विरुपाक्ष
गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1398 को हुआ था।उनके जन्म के बारे में एक दोहा प्रचलित है । चौदह से तैंतीस कि
गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1398 को हुआ था।उनके जन्म के बारे में एक दोहा प्रचलित है । चौदह से तैंतीस कि