नवरात्रि की महत्ता
नवरात्रि का त्यौहार भारतवासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है | जिस प्रकार एक दिन में दो सन्धि काल होते हैं , उसी प्रकार वर्ष में दो नवरात्रि के त्यौहार का भी आगमन होता है |माना जाता है कि दिन की भांति एक वर्ष के भी दो सन्धि काल होतें हैं – एक चैत्र के शुक्ल पक्ष में तो दूसरा आश्विन के शुक्ल पक्ष में | दोनों संधियों में प्रकृति मौसम का बदलाव होता है | व्याधियों का प्रकोप बढ़ता है किन्तु इन त्योहारों में व्रत एवं पूजा- पाठ के चलते प्रकोप कम हो जाता है |
जहाँ तक नवरात्रि का तात्पर्य है दोनों नवरात्रियों में प्रतिपदा से नवमी तक नवदुर्गा की पूजा होती है | ये हैं नव दुर्गा |
प्रथम शैलपुत्री च द्वितीयम ब्रह्मचारिणी ,
तृतीय चन्द्रघटेति कुसमाडे ति चतुर्थकम
पंचम स्कन्दमातेति षष्ठम कात्यायनी च
सप्तम कालरात्रिति महागौरी च अष्टम
नवम सिद्धि च नवदुर्गा प्रकीतिता:
दसवी तिथि को दशहरा की संज्ञा दी गयी है | इस दिन जगह – जगह मेला का आयोजन होता है |चैत्र की नवरात्रि में राम नवमी का विशेष महत्व होता है तो क्वार की नवरात्रि में दुर्गा पूजा के साथ मूर्ति स्थापना एवं विसर्जन का प्रावधान है |
पहले इस पूजा का विशेष महत्व एवं आयोजन बंगाल में ही होता था , किन्तु समय के साथ इसका प्रचार – प्रसार पुरे देश में हुआ और अब दुर्गा पूजा के नाम से यह त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण बन गया है |
( कैप्टन विरेन्द्र सिंह ,वरिष्ठ पत्रकार )