पंचशील आदर्श जीवन का आधार
शरीर में जो स्थान हृदय का होता है बुद्धिज्म में पंचशील का वही स्थान है। जैसे बिना धड़कन के शरीर की कोई उपयोगिता नहीं है, वैसे ही पंचशील के बिना बुद्धिज्म निष्प्रयोज्य ही साबित होगा। अतः बुद्धिज्म में प्राण प्रतिष्ठा की स्थापना और उसे गतिशील बनाने के लिए पंचशील का पालन अति आवश्यक है। पंचशील खुशहाल जीवन का एक ऐसा मन्त्र है जिसका चिन्तन,मनन और आचरण साधारण व्यक्ति को भी आदर्श व प्रभावशाली बना देता है। पंचशील कोई पूजा,आराधना या उपासना नहीं है।
यह तो एक आदर्श जीवन जीने की एक आदर्श पद्धति है। इस जीवन शैली को संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभाव डालकर एक स्वस्थ व स्वच्छ समाज के निर्माण में पूर्णतया कारगर सिद्ध होगा। आवश्यकता है बस इसे अपनाने की। तथागत बुद्ध के बताए नियम संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभावी हैं।
अपने इन्हीं नियमों की वजह से बुद्धिज्म विश्वव्यापी धम्म और बुद्ध विश्व गुरू के रूप में जाने जाते हैं। पंचशील का पालन करके आप भी सांसारिक बाधाओं से मुक्ति पाकर अपने जीवन को सुखी तथा समृद्ध बना सकते हैं ।