पत्रकार भी है अग्रिम पंक्ति का योद्धा
पत्रकारिता दिवस पर प्रतिवर्ष पत्रकारों एवं पत्रकारिता की चर्चा होती है |सरकारे भी आतीं है और चली जाती हैं , पत्रकार की दशा और दिशा पर विचार विमर्श नहीं करती | सम्प्रति कोरोना काल में योगी सरकार ने पत्रकारों के निधन पर कुछ घोषणाए की हैं , परन्तु अभी उस पर काम होता हुआ नही दिख रहा है |
कहने में कोई संकोच नही कि पत्रकार भी एक अग्रिम पंक्ति योद्धा का दायित्व निभाता है |सीमाओं पर जिस प्रकार हमारी सेना अपनी जान हथेली पर रखकर भारत माँ की रक्षा के लिए तत्पर रहतें है ,ठीक उसी प्रकार तमाम झंझावतो का सामना करते हुए अपने क्षेत्र की समस्याओ से जूझते रहते हैं |
प्रशंसा सबको अच्छी लगती है परन्तु पत्रकार अपने कर्तव्य -निर्वहन में कोई समाचार ऐसा भेजता है ,जिससे किसी व्यक्ति या संस्था की छवि धूमिल होती है तो वह पत्रकार उसके क्रोध का शिकार बनता है |
ग्रामीण अंचल में काम करने वाले पत्रकारों के सामने हर समय परेशानी रहती है |सुविधाओं के अभाव के बावजुद वह पवनवत गतिमान हो घटनाओं आदि की स्थलीय जानकारी प्राप्त करता है |त्रस्तों को न्याय दिलाने में पत्रकारों की अहम भूमिका होती है |उसकी लेखनी जब चलती है तो शासन -प्रशासन की निद्रा टूटती है और त्रस्तो के कल्याणार्थ लोगो का हाथ बढ़ता है |
पत्रकार कालज्ञ होता है ,कायर नही |राष्ट्रहित की भावना से ओतप्रोत हो रचनात्मक कार्यों के प्रति प्रतिबद्ध होता है | पत्रकारिता का धर्म है कि सूक्ष्म रूप से गंभीरता के साथ वास्तविकता का निरूपण अपनी लेखनी के माध्यम से करे |वह ऐसा करता भी है ,किन्तु आये दिन देखने को मिल रहा है कि पत्रकार हिंसा के शिकार हो रहें हैं |
पहले यह भावना काम करती थी कि ” निंदक नियरे राखिये तापर कुटी छवाय “अर्थात जब आलोचना होती थी तो सम्बंधित व्यक्ति या संस्था सतर्क हो सही दिशा में कदम बढाने पर मजबूर होती थी |किन्तु आज इसके विपरीत आचरण हो रहा है |
( कैप्टन विरेंद्र सिंह ,प्रदेश उपाध्यक्ष ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन )