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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 25 Nov 2020 2:44 PM |   304 views

कौन है अपाहिज ?

बोल नहीं सकता सत्य 
तो वह गूँगा है।
ऊँची आवाज लगाने से क्या ?
 
सुन नहीं सकता सच 
तो वह बहरा है।
कान लगाकर सुनने से क्या  ?
 
चल नहीं सकता सत्य पथ पर 
तो वह लंगड़ा है ।
मटक -मटककर चलने से क्या ?
 
देख नहीं सकता अच्छाई को 
तो वह अँधा है।
टुकुर- टुकुर देखने से क्या ?
 
हाँ, जुबान नहीं है लोगों की 
पर इशारों इशारों में सच कहते हैं।
बोलते नहीं कुछ भी 
पर मन ही मन सत्य गुनते हैं।
अपंग हैं कुछ मन से 
पर लचक-लचककर सच संग चलते हैं ।
 
ज्योति नहीं आँखों में तनिक भी 
पर अंत:र्दृष्टि से सच देखते हैं ।
तुम लाचार  समझते रहो उन्हें 
तेरे ना समझने से क्या ?
 
( पुष्प रंजन कुमार, बिहार )
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