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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 23 Nov 2020 3:49 PM |   4071 views

माँ

मां होती है 
कोई भी उपमा 
इसके लिए छोटी है
मां 
 
जीने का अंदाज़ है
जो कल थी 
और होगी कल
वही आज है
कभी डाँटना 
कभी गले से लगाना
यही है 
मेरी जिंदगी संवारना
मां
 
मेरे होठो से कभी, 
मुस्कान को न जाने देती
सारे गम मेरे
अपने ही सह लेती
मां
 
जरुरत  है मेरे लिए 
जैसे हवाए साँसो के लिए 
उसने खुद के सपने
तोड दिया
सपने मेरे संजोए
मां
 
उसके लिए मेरे
अल्फ़ाज कम है
क्या है वो कैसे बताऊ
मेरी आँखे नम है
भगवान हर जगह 
नही होते इसलिए 
वह हमारी दुनिया में 
मां को भेजते है
मां के कदमों में 
जन्नत है 
 
उसकी आँचल में, 
ऐसी राहत है
जो संसार मे
कही नही है 
उसका दिया हुआ 
संस्कार व आशीर्वाद 
हमे बनाता है 
एक दिन कामयाब। 
 
        ( दिव्या चौबे , बलिया )     
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