धान की फसल में स्वास्थ्य प्रबंधन आवश्यकः प्रो. मौर्य
बलिया – आचार्य नरेन्द्र देव कृषि ए्वं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले कृषकों को समसामयिक सलाह देते हुए बताया कि इस समय पूर्वाच्चल में धान की फसल मे तना छेदक कीट , जीवाणु झुलसा व शीथ ब्लाइट रोग का प्रकोप छिटफुट हो रहा है ।धान मे बालियां निकल रही है। कीट व रोग की पहचान व प्रबंधन की जानकारी अवश्य रखना चाहिए, जिससे समय रहते उस पर काबू पा सके।

इसके प्रबंधन के लिये कारटेप 50 डब्ल्यू. पी. ,500 ग्राम या कोरेजन 18.5 एस.सी. 150 मिली को 500 ली.पानी मे घोल कर प्रति हैक्टेयर मे छिड़काव करे। या कारटाप हाईड्रोक्लोराइड 4 जी. 20 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से 3-4 सेमी.स्थिर पानी मे बिखेर दे। धान के जीवाणु झुलसा रोग मे पत्तियां नोक अथवा किनारे से एकदम सूखने लगती है। सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेढे़ मेढ़े हो जाते है। इसके रोकथाम के लिये 15 ग्राम स्ट्रेप्टोमाईसिन सल्फेट 90 प्रतिशत +टेट्रासाइक्लिन हाईड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत एवं 500 ग्राम कापर आक्सीक्लोराइड 50 डब्लू. पी. को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें। जब तक रोग ठीक न हो जाय तब तक यूरिया न डाले।

Facebook Comments