शिक्षक का पहला कार्य विभिन्न प्रकार के सामाजिक राग द्वेष से मुक्त होकर विद्यार्थियों को ज्ञान देना है- विभ्राट
कुशीनगर-शिक्षक का पहला कार्य विभिन्न प्रकार के सामाजिक राग द्वेष से मुक्त होकर विद्यार्थियों को ज्ञान देना है। अपने राष्ट्र, समाज और अधिकारों के लिए उनकी मनः स्थिति का निर्माण शिक्षण के प्रमुख आयाम हैं। उक्त बातें बी एड विभाग के अवकाश प्राप्त विभागाध्यक्ष आचार्य प्रोफेसर विभ्राट चंद कौशिक ने कही। वे बुद्ध स्नातकोत्तर महाविद्यालय में बीएड विभाग द्वारा आयोजित विदाई समारोह में बोल रहे थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो विनोद मोहन मिश्र ने कहा कि बीएड विभाग अपनी रचनात्मक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। कौशिक का व्यक्तित्व भी बहुत रचनात्मक और विद्यार्थियों का सहयोगी रहा है। कौशिक जी भले ही सेवानिवृत्त हो गए हैं महाविद्यालय इनके स्नेह को प्राप्त करता रहेगा।
समारोह की विशिष्ट अतिथि प्रो कुमुद त्रिपाठी ने कहा कि जीवन में सामंजस्य को जीवन का मूल सूत्र बनाकर हो सुखी हुआ जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रो विभ्राट का व्यक्तित्व बहुत ही सहज सरल और सहयोग भावना वाला रहा है। राजनीतिज्ञ के रूप में सार्वजनिक जीवन में सक्रिय उपस्थिति के बावजूद आपकी उपस्थिति विद्यार्थियों के लिए सदैव रही है।
समारोह को संबोधित करते हुए शिक्षक संघ अध्यक्ष डॉ सौरभ द्विवेदी ने कहा कि संस्थाएं व्यक्तित्वों से बनता है। हमारी संस्था को समृद्ध करने वाले अग्रणी लोगों में कौशिक सर का नाम है। आपका व्यक्तित्व सर्व समावेशी रहा है। कार्यक्रम का संचालन बीएड विभागाध्यक्ष डॉ निगम मौर्य ने किया।
समारोह में प्रो कौस्तुभ नारायण मिश्र, प्रो गौरव तिवारी, डॉ जितेंद्र मिश्र, डॉ राजेश कुमार जायसवाल, डॉ दुर्ग विजय पाल सिंह, डॉ यज्ञेश नाथ त्रिपाठी, डॉ ज्ञानेश सिंह, डॉ राजीव राय , डॉ आशुतोष तिवारी, डॉ राकेश सोनकर सहित महाविद्यालय के शिक्षक और बीएड के छात्र उपस्थित थे।
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