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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 6 Aug 2025 8:23 PM |   116 views

‘संस्कृत विद्यालये समाजे च समासामयिकी स्थितिः’ विषय पर व्याख्यान संगोष्ठी का आयोजन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा आज अपने परिसर में संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत ‘संस्कृत विद्यालये समाजे च समासामयिकी स्थितिः’ विषय पर व्याख्यान संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव द्वारा अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की विभिन्न योजनाओं पर प्रकाश डाला तथा कार्यक्रम में आये वक्ता के रूप में आंमत्रित प्रो० भारत भूषण त्रिपाठी जी ने संस्कृत को व्यवहारिक भाषा बनाने के लिए महर्षि पाणिनी एवं महर्षि पंतजलि के शब्दों के स्थान पर संस्कृत भाषा के सरल शब्दों का प्रयोग उत्तम होगा।

प्रो० अभिमन्यु सिंह ने विद्यालय और समाज में संस्कृत भाषा की समसामयिकी स्थिति पर अपना विचार प्रस्तुत किया एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत त्रिभाषा सूत्र के अंर्तगत संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने पर बल दिया।

कवि सम्मेलन में सर्वप्रथम प्रो० उमारानी त्रिपाठी द्वारा लिखी पुस्तक श्संगीतकम्श् का विमोचन किया गया। कवि सम्मेलन में आंगत्रित प्रो० हरिदत्त शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने शस्त्रकर्म सिंदूरम् नामक कविता का पाठ किया, जोकि भारतीय सेना के आपरेशन सिंदूर पर आधारित है।

प्रो० ओमप्रकाश पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने व्याख्यान साहित्य विषयक कविता से श्रोताओं को मोहित किया। डॉ० अशोक कुमार शतपथी, एसोसिएट प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय ने वर्तमान काल में योग्यताधारी व्यक्ति के असफल होने पर उनके मन की पीड़ा को संस्कृत काव्य के रूप में प्रस्तुत किया एवं श्रोताओं के मन को स्पर्श किया।

डॉ सत्यकेतु, एसोसिएट प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय ने देवभाषा संस्कृत के महत्व को कविता के माध्यम से संस्कृत काव्य के रूप में प्रस्तुत किया।

इसके साथ ही साथ संस्कृत प्रतिमा खोज प्रतियोगिता के मंडलस्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन भी संस्थान परिसर में किया गया। इसके अंतर्गत लखनऊ मंडल के जनपदों में सफल प्रतिभागियों ने 4 प्रतियोगिताओं क्रमशः श्लोकान्त्याक्षरी, संस्कृत गीत, संस्कृत सामान्य ज्ञान-युवा वर्ग, एवं संस्कृत सामान्य ज्ञान-वाल वर्ग का सम्पादन किया गया। 

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