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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 29 Apr 2025 7:36 PM |   255 views

जद्दोजहद में बृजभूषण,क्या कर रहे नई भूमिका की तलाश?

गोण्डा- कभी जनपद की एक ध्रुवीय रही राजनीति को बहुध्रुवीय बना, जिले की सामंती व्यवस्था को हाशिये पर धकेलने वाले कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और कैसरगंज के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक समय में सीएम से भी ऊपर की भूमिका में रहे हैं। जिन्होंने अपने सामने सीएम को भी कुछ नहीं समझा और अक्सर बेबाकी से अनेक मुद्दों पर उन्हें घेरते रहे। दबदबा ऐसा था कि,जब गोंडा में जिसको चाहा उसे विधानसभा पहुंचाया,और जिसे चाहा उसे बाहर का रास्ता दिखवाया। अपने एक पुत्र को विधायक तो एक को सांसद भी बनाया। रणनीति ऐसी की विपक्षी जीती हुई बाजी भी हारे,लेकिन वक्त ने आज इस कद्दावर नेता को किस तरह नाटकीय अंदाज में हाशिये पर धकेल दिया है,जहाँ वह अपनी भविष्य की भूमिका को तलाशते हुये मानसिक जद्दोजहद में फंसा दिखाई दे रहा है।

हालंकि बृजभूषण सिंह की राजनीति और व्यक्तित्व के बारे में अगर बात करें तो ,उनके जीवन और राजनीति में कई बार ऐसी जटिल और विपरीत परिस्थितियाँ आईं हैं ,जिसने उन्हें मुश्किल में जरूर डाला,लेकिन हर बार उन्होंने ऐसी परिस्थितियों पर कुशलतापूर्वक विजय पाते हुये एक नया आयाम बनाया है। बता दें कि, 2022 की सर्दियों में महिला पहलवानो के यौन शोषण मामलों को लेकर हुये उनके आंदोलन ने पूरे देश के माहौल को गर्म कर दिया । इस आंदोलन के दौरान उनकी जुबान भी कुछ ऐसी फिसली जो राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय रही। जिसने कहीं न कहीं भारतीय जनता पार्टी को भी दो धड़ों में कर दिया,एक वो जो पूर्व सांसद के समर्थन में था तो दूसरा विरोध में।

जिसका नतीजा यह रहा पिछले लोकसभा चुनाव में कैसरगंज सीट पर बृजभूषण सिंह की दावेदारी अधर में लटक गई।और पार्टी में इनके विरोध के चलते पूर्व सांसद को हाशिये पर डालते हुए इन्हें टिकट नहीं दिया। हालांकि यह भी सच है कि,पूर्व सांसद का कद भी ऐसा था कि,कई नाम इस सीट के लिये चर्चा में आये और गये पर अंत तक कैसरगंज सीट फाइनल नहीं की गई।

कहा जा रहा है बड़ी मुश्किल के बाद एक बड़े और देश की राजनीति में बेहद प्रभावशाली केन्द्रीय मंत्री की मदद से इनके पुत्र करण भूषण सिंह को टिकट मिला और भारी अंतर से चुनाव जीता। जिसके बाद कयास लगाये जाने लगे कि,अब शायद बृजभूषण सिंह को राज्यसभा भेजकर उनकी कोई अन्य भूमिका तय की जाय। पर इनके परिवार में टिकट देने के चलते पहले से ही नाराज विरोधी धड़े के कड़े विरोध के चलते इनको हाशिये पर कर दिया गया।

इतना ही नहीं भाजपा में अपनी भूमिका से असंतुष्ट और कभी प्रदेश में हिंदूवादी नेता माने जाने वाले व रामजन्मभूमि आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले इस पूर्व कद्दावर सांसद को अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन में न्योता भी नहीं दिया,जिससे आहत हो पूर्व सांसद ने नंदनी नगर में हूबहू अयोध्या के राममंदिर की तरह ही मंदिर बनवाकर अपने हजारों समर्थकों के बीच उसी दिन उसका उद्घाटन करते हुये विरोधियों को साफ संदेश दे दिया कि,वे झुकने वाले नहीं हैं और अपना रास्ता बनाकर उस पर सफलता से चलना वह बाखूबी जानते हैं। इसी के साथ यह भी साफ कर दिया कि,उनकी राजनीति किसी पार्टी के रहमोकरम पर नहीं बल्कि,राजनैतिक दल उनके ऊपर निर्भर हैं और जिस भी पार्टी में रहे उनकी बदौलत उस दल को गोण्डा और देवीपाटन मण्डल में कामयाबी मिली है। बहरहाल इन सबके बीच सपा के प्रति मुलायम रुख और कई सपा नेताओं से उनकी मुलाकातें इस समय मीडिया में बड़ी सुर्खियां बटोर रहीं हैं। कई तो दबे जुबान से उनकी सपा में इंट्री भी पक्का मान चुकीं हैं। पर इस मझे हुये कद्दावर नेता के जहन में क्या है ,यह कोई नहीं जानता।

अक्सर उन्होंने अपने निर्णयों से मण्डल ही नही पूरे प्रदेश को चौंकाया है। वह सपा में जायेंगे ? अपनी पार्टी बनायेंगे या फिर भाजपा में ही रहते हुये अपनी किसी बड़ी भूमिका का इंतजार करेंगे? यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा,लेकिन बृजभूषण सिंह जैसे धैर्यवान और दूरदर्शी व मजबूत नेता का अगला कदम निश्चय ही चौंकाने वाला हो सकता है। फिलहाल तो उनका अगला कदम क्या होगा इस मण्डल ही नही पूरे प्रदेश में इसपर कयासों का दौर जारी है।

-मनोज मौर्य ,गोंडा 

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