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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 14 Jul 2024 5:23 PM |   397 views

केंद्र सरकार की चुनौतियाँ

भाजपा 2014 में सत्ता में आई जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाएं, जनता ने उन सभी सपनों को अमली जामा पहनाने के लिए इनको एक ताकत दिया| सरकार अपने एजेंडा पर चल पड़ी, कुछ दिन बीतने के बाद लोग सरकार से सवाल पूछने लगे की 15 लाख कब खाते में आएगा ? राम मंदिर कब बनेगा ? धारा 370 कब हटेगा? रोजगार कब मिलेगा? देखते- देखते  एक कार्यकाल पूरा हो गया , कुछ काम हुआ, कुछ आधा अधूरा पूरा हुआ|
                    
2019 का चुनाव आया जनता ने बीजेपी को दुबारा सरकार बनाने में सहयोग किया | इस द्वितीय कार्यकाल में सरकार की ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं जिसका जिक्र करना प्रासंगिक  नहीं होगा| परंतु जनता का प्रश्न फिर भी उचित उत्तर के लिए बेचैन था| बेरोजगारी बढ़ी, महंगाई बढ़ी, शिक्षण संस्थान महंगी शिक्षा देने लगे, बिजली का बिल महंगा  हुआ, गैस सिलेंडर से लेकर रोजमर्रा की सारी चीज महंगी हो गई| परंतु सरकार फ्री राशन, आयुष्मान कार्ड, किसान सम्मान निधि, इज्जत घर जैसी उपलब्धियां पर अपनी पीठ थपथपाते  हुए 2024 के चुनाव में उतर गई| अति उत्साहित सरकार द्वारा 400 पार का नारा के साथ घोषणा कर दी गई| परंतु इस बार मोदी की गारंटी पर जनता ने विश्वास नहीं किया|
 
जितना इनको उम्मीद था चुनाव हुआ और 4 जून 2024 को जब परिणाम आया तो भाजपा की नींद उड़ गई| यह चुनाव परिणाम चौंकाने वाला था| भाजपा का सपना साकार नहीं हुआ| साथ ही साथ सरकार बनाने का विपक्ष का सपना भी टूट गया| चुनाव परिणाम निश्चित रूप से सरकार की दिशा और दशा को निश्चित करता है विपक्ष को भी सोने के लिए मजबूर कर दिया|
 
खंडित जनादेश सरकार और देश के लिए शुभ संकेत नहीं है| बल्कि दोनों के लिए एक चुनौती है| बीजेपी  कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही थी वही एक मजबूत विपक्ष के रूप में सरकार के सामने खड़ा हो गया| विपक्ष को एकता और भाजपा को स्पष्ट बहुमत न मिलना सरकार के लिए दूसरी चुनौती है| सरकार संख्या  भले  ही जोड़ ली हो पर सरकार के लिए एक मुश्किल दौर की शुरुआत हो गई है| तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है? क्या सरकार मध्यवर्ती चुनाव का रास्ता तय करेगी? या सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी? सरकार के सहयोगी दल सरकार का कितना और कब तक साथ देंगे?
 
 कुछ नहीं कहा जा सकता| इस तरह की विपरीत परिस्थितियां बनती है तो सहयोगी दलों को एक अच्छा अवसर दिखाई देने लगता है और वे बार्गैनिक करने लगते हैं| चुनौती को भी स्वीकार करना पड़ेगा| इसके अलावा चुनाव के जिन मुद्दों में सरकार को विपक्ष शिकस्त दिया उससे कैसे निकलेंगे? महंगाई को कैसे दूर करेंगे, शिक्षा की चरमराती व्यवस्था ,परीक्षाओं में बढ़ते भ्रष्टाचार ,पुरानी पेंशन का मामला| आंतरिक अशांति और अलगाववादीयों का फिर से सिर उठाना|      
 इस प्रकार सरकार के सामने छोटी बड़ी चुनौतियां हैं| 
 
नौजवानों को रोजगार,महंगाई के साथ-साथ सरकार की स्वतंत्रता .जांच एजेंसियों के दुरुप्रयोग से कैसे निजात पाएंगे? भारत की राजनीतिक व्यवस्था जिस तरह से बनी है, उसमें इस प्रकार के आरोप लगते रहेंगे| कोई भी सत्ता में आएगा इससे ऊबर नहीं पाएगा गरीबी रेखा की तरह अमीरी रेखा भी तय होना चाहिए|
-नरसिंह
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