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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 13 Apr 2024 6:04 PM |   334 views

बिहार में एनडीए हो या महागठबंधन सबके बागी खेला करने के लिए तैयार

बिहार में गर्मी उफान पर है. अप्रैल में जून वाली गर्मी है. इधर सियासी पारा भी रोज चढ़ रहा है. अब तो बागियों ने तो राजनीतिक दलों के पसीने छुड़ा दिए हैं| एनडीए हो या महागठबंधन सबके बागी खेला करने के लिए तैयार हैं. बिहार में कई ऐसी सीट हैं, जहां बागी एनडीए-महागठंबधन के गुणा-भाग को गड़बड़ा रहे हैं| वैसे तो निर्दलीयों के बारे में कहा जाता है कि उनके पास ना झंडा होता है और ना बंदा होता है’ इसलिए उनका ज्यादा प्रभाव नहीं दिखता है| लेकिन बिहार में बागी कई जगहों पर मजबूती से डटे हैं| पूर्णिया, नवादा, सीवान, काराकाट में मुख्य मुकाबले में आ गए हैं|

बिहार की राजनीति में इन दिनों पूर्णिया लोकसभा सबसे ज्यादा चर्चा में है| वजह पप्पू यादव. ये वहीं पप्पू यादव हैं, जिसके साथ एक सप्ताह पहले लालू यादव ने खेला कर दिया था| तब पप्पू यादव के बारे में कहा जा रहा था लालू ने ऐसा दाव खेला की पप्पू पस्त हो गए. राजनीतिक वैज्ञानिक पप्पू यादव की राजनीति खत्म होने तक की बात करने लगे थे|

लालू यादव का दाव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है| पप्पू ने पूर्णिया से निर्दलीय ताल ठोका है और उन्हें वहां खूब समर्थन भी मिल रहा है. पप्पू यादव, लालू यादव पर हमलावर हैं और कह रहे हैं- यह मेरी राजनीतिक हत्या की साजिश थी| लेकिन पूर्णिया की जनता ने हमेशा से पप्पू यादव को जात-पात से ऊपर रखा है. सबकी एक ही आवाज़ है पप्पू और पूर्णिया. इंडिया गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव, राहुल गांधी को मजबूत करने की बात कह रहे हैं|

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं लालू यादव ने पप्पू यादव को हल्के में लेने की गलती कर दी. उनके साथ जो व्यवहार किया उसके बाद पूर्णिया की जनता की सहानुभूति अभी उनके साथ दिख रही हैं. दूसरे जिलों के यादवों की भी सहानुभूति उनके साथ होने लगी है. आगे का नहीं पता लेकिन अभी चुनाव होते हैं तो पप्पू यादव दो लाख से ज्यादा वोटों से जीतने में कामयाब हो जाएंगे.

पप्पू यादव ने पूर्णिया चुनाव के बाद सीवान में हिना शहाब के लिए कैंप करने की बात कही है. सीवान में जिस तरह मुस्लिम शहाबुद्दीन परिवार के साथ है वैसे पूर्णिया में यादव पप्पू के साथ. वैसे भी पूर्णिया में यादव और गंगौता में छत्तीस का आंकड़ा है. पप्पू यादव बनाम आरजेडी की इस लड़ाई से एनडीए के संतोष कुशवाहा को फायदा मिल सकता है.

महागठबंधन के लिए नवादा से भी गुड न्यूज नहीं है. लालू यादव ने यहां ऐसे उम्मीदवार पर दाव खेला है जो लगातार तीन चुनाव हार चुका है. लालू ने राजवल्लभ को नाराज कर श्रवण कुशवाहा पर दाव खेला है. जबकि आरजेडी समर्थक नवादा में आरजेडी मतलब राजवल्लभ बताते हैं|

नवादा से राजवल्लभ के भाई विनोद यादव निर्दलीय मैदान में हैं| उनके समर्थन में आरजेडी कार्यकर्ताओं के साथ दो विधायक विभा देवी और रजौली विधायक प्रकाशवीर घूम रहे हैं| वह विनोद यादव के लिए वोट मांग रहे हैं| बता दें कि ये वही श्रवण कुशवाहा हैं जिन्हें आरजेडी ने एमएलसी चुनाव में भी उम्मीदवार बनाया था तब राजवल्लभ यादव के भतीजे अशोक यादव ने उन्हें करारी शिकस्त दी थी|

इधर सीवान में दिवंगत बाहुबली नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब भले ही यहां एक भी चुनाव नहीं जीत पाई हैं लेकिन शहाबु्द्दीन परिवार के समर्थन लिए बिना बीजेपी विरोधी दलों की जीत मुश्किल है|

पू्र्णिया में पप्पू ने हिना शहाब को समर्थन देने की बात कही है तो हिना ने भी पप्पू को गार्जियन बताया है. इसके बाद कहा जा रहा है कि पूर्णिया के साथ- साथ सीवान और उसके आसपास के जिलों में भी MY समीकरण चटक सकता है खासकर सीवान और उसके पड़ोसी सारण में जहां लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव लड़ रही है| सारण में शहाबुद्दीन परिवार की आज भी धमक है| यही वजह है कि लालू यादव सीवान को लेकर मंथन मोड में हैं |

ऐसा नहीं है कि बागी सिर्फ महागठबंधन का खेल बिगाड़ रहे हैं| एनडीए की भी मुसीबतें कम नहीं हैं| मुजफ्फरपुर में टिकट नहीं मिलने के बाद अजय निषाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है| चर्चा है कि उन्हें कांग्रेस मुजफ्फरपुर के मैदान में उतार रही है| इधर बक्सर में अश्विनी चौबे खेला होने का दावा कर रहे हैं| टिकट कटने से दुखी चौबे वैसे तो पार्टी के साथ बने रहने की बात कह रहे हैं लेकिन उनके खेला होने वाले बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं|

इधर आरा से टिकट की चाह मैं बैठे भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह ने काराकाट में एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी करते नजर आ रहे हैं| आरा से टिकट नहीं मिलने के बाद पावर स्टार ने काराकाट के मैदान में निर्दलीय उतरने का ऐलान किया है| काराकाट से एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं. करीब साढ़े तीन लाख सवर्ण वोटर वाले काराकाट में अगर पवन सिंह सवर्णों को साधने में कामयाब होते हैं, इधर कोइरी वोट महागठबंधन और एनडीए उम्मीदवार के बीच बंटता है तो उपेंद्र कुशवाहा की राह आसान नहीं होगी |

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