Thursday 16th of May 2024 03:13:27 AM

Breaking News
  • केन्द्रीय मंत्री सिंधिया की माँ का निधन हुआ |
  • CAA के तहत पहली बार मिली भारतीय नागरिकता , 14 शरणार्थी को थमाया गया सिटीजन सर्टिफिकेट|
  • पश्चिम बंगाल को लेकर तेज हुई सियासी लडाई , मुल्ला , मौलवी मदरसा पर आई |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 8 Nov 2023 6:01 PM |   223 views

योग्यता

एक दिन बुजुर्गों ने बैठकी लगायी कि कॉलोनी के अच्छे बच्चों को पुरस्कृत किया जाय,ताकि यह देखकर कॉलोनी के बुरे बच्चे अच्छाई की ओर प्रेरित हों। पर इसके लिए बच्चों का चयन कैसे कराया जाए और किससे, इस विषय पर बैठक रुक- सी गई। कई बुजुर्गों के अलग-अलग मत थे ।
 
“अभयानंद शुक्ल जी  कॉलोनी में एक मात्र सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं। उनसे योग्य बच्चों का चयन कराया जा सकता है।” – दामोदर सिंह जी ने अपना सुझाव बैठक में रखा।
 
“नहीं नहीं ।योग्य बच्चों के चयन करने की योग्यता शुक्ला जी में नहीं है। जब वो राज्य चयन आयोग के अध्यक्ष थे, तो कामी जी और ज्ञानी जी के निपट गँवार बेटों को घूस लेकर सरकारी नौकरी दिलवाई थी ।”  असहमति व्यक्त करते हुए  जितेन्द्र भारती ने सुझाव दिया – ” हाँ, इंजीनियर अशरफ इमाम जी को चयनकर्ता बनाने पर विचार किया जा सकता है।
 
” इमाम जी को ?  नहीं -नहीं। उनसे नहीं हो पायेगा।जब उन्हें अच्छे बुरे ईंट की पहचान नहीं, तो बच्चों की पहचान क्या करेंगे। ” शहर में एक स्कूल का भवन इमाम जी की देख -रेख में बना था । एक साल बाद ही ढह गया । जाँच में पता चला कि निर्माण में खराब सामग्रियां  लगायी गयी थीं, जबकि इमाम जी ने सामग्रियों को अच्छा बताया था। इमाम जी का कारनामा जानते ही सभी असहमत हो गये। 
 
“डॉक्टर एलेक्जेंडर ठीक रहेंगे! चाइल्ड एक्सपर्ट हैं।” – राधेश्याम ने कहा।
” वो तो इमाम से भी गये -गुज़रे हैं।
 
उन्हें एक भी बीमारी की जानकारी नहीं है,बुखार छोड़कर। अपनी कॉलोनी के आठ बच्चे मरे हैं उनके अस्पताल में। बच्चों के मरने तक वह बीमारी का पता ही लगाते रहे। ” सभी बुजुर्गों ने अवधेश बाबू की बातों से सहमति जतायी। 
 
“प्रोफेसर बुद्धिनाथ जी  कैसे रहेंगे। “- हल्कू महतो अपनी बात कह ही रहे थे कि आदर्श बाबू बीच में कूद पड़े-
 
” बुद्धिनाथ ! वह तो सबसे बेकार हैं । उन्हें अच्छे -बुरे का क्या ज्ञान ? दिमाग होता, तो  कॉलेज में बच्चों को पढ़ाने की बजाय सारा दिन पान की दुकान पर पूचपूच करते रहते ? 
 
अंत में एक वरिष्ठ बुजुर्ग ने गंभीरतापूर्वक कहा – ” कवि गरीबानन्द ही चयनकर्ता बनने के योग्य हैं। कवि जी अच्छे एवं योग्य शब्दों  का चयन कर समाज की बुराईयों के विरुद्ध ईमानदारी से लिखते रहे हैं।
 
बुजुर्गों ने सर्वसम्मति से कवि गरीबानन्द जी को  कॉलोनी के अच्छे बच्चों का चयन करने का काम दिया। उन्होंने तुरंत  कॉलोनी के सभी बच्चों को  बुलाया और लगातार पाँच कविताएँ सुनायी। जिन बच्चों ने तन्मयता से कविता सुनी, उन्हें अच्छा और अन्य को बुरा मानते हुए कवि ने पुरस्कार हेतु सूची बनाई। यह चयन ऐसा हुआ कि पुरस्कार वितरण हुए महीनों गुजर गये, पर उनके चयन पर किसी ने ऊंगली नहीं उठाई। 
 
( पुष्प रंजन,अरवल,बिहार )
Facebook Comments