मातृशक्ति प्रतिमाओं पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया

मिशन शक्ति विशेष अभियान-4 के अंतर्गत शारदीय नवरात्रि के अवसर पर राजकीय बौद्ध संग्रहालय, कुशीनगर द्वारा विविध संग्रहालयों में संग्रहीत मातृशक्ति प्रतिमाओं पर आधारित छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

प्रारंभ में देवी की उपासना माता के रूप में की जाती थी। पुराणों की दुर्गा स्तुतियों में देवी के माता स्वरूप का वर्णन प्राप्त होता है। सृष्टि की निरन्तरता बनाये रखने में योगदान के कारण मातृशक्तियों का पूजन आरंभ हुआ था। देवी पूजन का दूसरा रूप शक्ति पूजन के रूप में प्रकट हुआ। शक्ति पूजन की अवधारणा में विभिन्न देवताओं की शक्ति उनसे सम्बद्ध देवियों की शक्तियों में निहित मानी गयी है।
कुषाण काल के बाद मातृका तथा शक्ति-पूजन के बीच समन्वय की स्थापना हुई जो स्पष्टतया सप्त या अष्टमातृकाओं की अवधारणा में दृष्टिगोचर होती है। विभिन्न प्रतिमाओं में मातृकाओें की गोद में शिशु का अंकन कर शक्ति के साथ उनके मातृ पक्ष को भी दर्शाया गया है।
प्रदेश के विविध संग्रहालयों में सप्त एवं अष्टमातृका पट्टों सहित महिषासुरमर्दिनी, उमा, पार्वती, गौरी, सरस्वती, लक्ष्मी, वैष्णवी, वाराही, चामुण्डा एवं गंगा व यमुना आदि देवी प्रतिमायें संग्रहीत हैं।
इन प्रतिमाओं के छायाचित्रों का प्रदर्शन इस प्रदर्शनी में किया गया है।उक्त अवसर पर तेज प्रताप शुक्ला, गोविन्द, मीरचन्द,वेग, श्रवण कुशवाहा, धीरेंद्र मिश्रा, महेश कमलेश आदि उपस्थित रहे।
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