“बाजारवाद एवं हिन्दी विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया

कार्यक्रम के मुख्यातिथि डॉ० रामनरेश राम असि०प्रो०, हिन्दी, दी0द0उ0गो0वि0वि0 गोरखपुर ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० पवन राय, डॉ० सुशील कु० तिवारी, डॉ० पंकज शुक्ला, डॉ० बीरज पाण्डेय मंचासीन थे। महिला विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ० सुनीता अबाबील भी मंचासीन थीं।
सरस्वती वन्दना कु० अन्तिमा यादव और कु० सज्जना यादव ने संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया।
मुख्यातिथि का स्वागत महाविद्यालय के प्राचार्य एवं कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो० हरीश कुमार ने बैज एवम् अंगवस्त्र प्रदान कर किया।
एक दिवसीय हिन्दी – संगोष्ठी का शीर्षक- “बाजारवाद एवं हिन्दी” था । मुख्यातिथि एवं मुख्य वक्ता ने अपने सम्बोधन में कहा कि ” हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए हमें क्षेत्रीय भाषाओं एवं राज्य के स्थानीय भाषाओं को लेकर चलना होगा। बाजारवाद और हिन्दी का बहुत गहरा सम्बन्ध है। बाजारवाद ने जहाँ हिन्दी का बढाया है वही इसको कमतर बताकर इसको हानि पहुँचाने का असफल प्रयास किया है।

कु० श्री चतुर्वेदी, कु० कशिश मिश्रा इत्यादि छात्राओं ने भी अपने-अपने शोधपत्र का वाचन किया।
कार्यक्रम का संचालन सहायक आचार्य डॉ० अभिषेक कुमार और डॉ० जनार्दन झा, सहायक आचार्य, संस्कृत ने संयुक्त रूप से किया।
इस कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथियों ने भी सम्बोधित किया।

इस कार्यक्रम के अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण डॉ० योगेन्द्र सिंह, डॉ0 कमला यादव, डॉ० जनार्दन झा, और डॉ० अभिषेक कुमार उपस्थित थे।
इस अवसर पर समस्त कर्मचारीगण भी उपस्थित थे। विशिष्ट अतिथियों के सम्बोधन के बाद अध्यक्षयी भाषण के पश्चात् महाविद्यालय के प्राचार्य और कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो० हरीश
कुमार ने मुख्यातिथि डॉ० रामनरेश राम को स्मृतिचिन्ह देकर उनका स्वागत किया।
साथ में मुख्यातिथि डॉ० नेहा अबीबाल को भी स्मृतिचिन्ह देकर उनका स्वागत किया गया।
विभागाध्यक्ष डॉ० अभिषेक कुमार के संयोजकत्व में कार्यक्रम का सुचारू रूप से समापन हुआ।
राष्ट्रगान के साथ इस संगोष्ठी का औपचारिक समापन किया गया ।
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