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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 27 Oct 2022 5:39 PM |   356 views

कायस्थों के अराध्य देव हैं भगवान चित्रगुप्त

कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान चित्रगुप्त जी का पूजा उनके जन्मोत्सव के रूप में की जाती है | आज चित्रगुप्त पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है |आज के दिन समस्त कायस्थ जाति के लोग भगवान चित्रगुप्त के समक्ष कलम ,दवात व अपने वही खाते का विशेष पूजन करतें हैं |पूजन स्थल पर लोग अपने परिवार के आय – व्यय का विवरण सफ़ेद कागज़ पर लिखकर चित्रगुप्त भगवान के श्री चरणों में रखकर अपने परिवार के सुख समृधि व आरोग्य की कामना करते हैं |

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान् चित्रगुप्त की उत्पति सृष्टि के रचयिता ब्रम्हा के काया से होने के कारण इन्हें कायस्थ की संज्ञा दी गई थी | ब्रम्हा जी के आज्ञानुसार धर्मराज यमराज के यमपुरी में यमराज के सहायक देव के तौर पर चित्रगुप्त भगवान लोगो के धर्म /अधर्म का हिसाब रखतें थे |चित्रगुप्त भगवान् को ज्ञान का देवता तथा इनकी संतानों को बुद्धिजीवी कहा जाता है |

चित्रगुप्त भगवान की दो पत्नियों से उत्पन्न इनकी 12 संतानों को कायस्थ कहा गया |ये 12 संताने कायस्थों के 12 उपजातियों में विभक्त है |चित्रगुप्त भगवान् का विवाह एरावती और सूदक्षणा से हुआ |सूदक्षणा से उन्हें श्रीवास्तव , सूरजध्वज ,निगम और कुलश्रेष्ठ नामक चार पुत्र प्राप्त हुए जबकि एरावती से आठ पुत्र रत्न प्राप्त हुए |जो पृथ्वी पर माथुर ,कर्ण ,सक्सेना गौड़ ,अस्थाना ,अम्बष्ठ ,भटनागर और बाल्मीकि नाम से विख्यात हुए |

श्रीवास्तव , कायस्थ कमोवेश सभी हिंदी भावी प्रान्त उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश व बिहार आदि में तो सक्सेना ,कायस्थ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा संख्या में हैं |कर्ण कायस्थ जिनकी उत्पत्ति कर्नाटक प्रान्त है | मुख्यतयया मिथिलांचल नेपाल के जनकपुर , वीरगंज सहित बिहार के दरभंगा मधुबनी ,समस्तीपुर ,सहरसा ,कटिहार, किशनगंज व सुपौल जिले में अधिक संख्या में हैं |अम्बष्ठ कायस्थ पटना और इसके निकटवर्ती जिलो में है |    

लेखक – मनोज ” मैथिल  

 

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