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By : Divya Chaubey | Published Date : 3 Aug 2022 4:53 PM |   410 views

घबराना क्यूँ

मजबूत है इरादे
जब मेरे फिर
घर लौट जाना
क्यूँ निकल गए
जब घर से पग
मेरे कठिनाई से
फिर घबराना क्यूँ।
चाहत है जब
आसमा छूने का
रुक के सफर
में फिर क्यूँ
राह देखना
किसी ओर का
खुद पे है भरोसा।
मान लेने से
तो हार हो
जाती है यदि
जीतना है तो
ठान लेनी चाहिए
मंज़िल पाकर ही
दिखाना चाहिए।
ना रुकना ना
कभी झुकना
चल दे दिल
जहाँ है चलना
कठिनाई इतना
किया पार मुडके
पीछे मत देखना।
मन के हारे
हार होती है
मन के जीते
जीत मंजिल
मिलेगी ही
एक दिन यह
रख तू उम्मीद।
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