राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा आजमगढ़ (निजामाबाद) की टेराकोटा कला की सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन

उक्त अवसर पर विशिष्ट अतिथि एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर सुजाता गौतम, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी सहित जिला अग्रणी बैंक प्रबन्धक मनोज कुमार श्रीवास्तव, सहायक महाप्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक मुकुल श्रीवास्तव सहित कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक शिव प्रसाद प्रजापति, निजामाबाद, आजमगढ़ एवं सह प्रशिक्षक अनिल प्रजापति की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन शिवनाथ ने किया।



आज हम चाहे जितनी आधुनिकता में ही जी रहे हैं, लेकिन प्राचीन मिट्टी कला और संस्कृति के महत्व को भुलाया नहीं जा सकता। आज अच्छे-अच्छे लोग फ्रिज के जगह पुनः मिट्टी से निर्मित सुराही एवं घड़े के बर्तनों में पानी पीने लगे हैं। जो कहीं न कहीं हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक तो है ही, इस व्यवसाय जुड़े लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हंैं। जो भारतीय संस्कृति के लिए गर्व और गौरव की बात है। इस कला में वर्तमान पीढ़ी के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य अत्यन्त उपयोगी है। इस तरह के प्रशिक्षण एवं संग्रहालय की गतिविधियां युवाओं को भारतीय संस्कृति की समृद्ध परम्परा से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी है।
मुख्य अतिथि कुमार आनन्द द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि राजकीय बौद्ध संग्रहालय द्वारा आयोजित निजामाबाद की टेरोकोटा कला जो आजमगढ़ का ओ0डी0ओ0पी0 प्रोडक्ट है। जहाॅं से निर्मित पाटरी की देश-विदेश में बड़े पैमाने पर मांग है। यह कला युवाओं के लिए भविष्य में रोजगार का बहुत ही अच्छा माध्यम बन सकता हैं। वर्तमान में बौद्ध संग्रहालय द्वारा तकनीकी शिक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से संग्रहालय से जोड़ने का बहुत ही खूबसूरत प्रयास है। संग्रहालय द्वारा निरन्तर अपनी कला और संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु नये-नये आयामों के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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