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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 10 May 2025 6:22 PM |   290 views

राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर द्वारा आजमगढ़ (निजामाबाद) की टेराकोटा कला की सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ समापन

गोरखपुर-राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा 04 मई, 2025 को शुरू हुई आजमगढ़ (निजामाबाद) की टेराकोटा कार्यशाला का 10 मई, 2025 को समापन हुआ साथ कार्यशाला में सृजित कला सामग्री की एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी। जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि कुमार आनन्द, उप महाप्रबन्धक, भारतीय स्टेट बैंक, गोरखपुर द्वारा किया गया।
 
उक्त अवसर पर विशिष्ट अतिथि एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर सुजाता गौतम, प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी सहित जिला अग्रणी बैंक प्रबन्धक मनोज कुमार श्रीवास्तव, सहायक महाप्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक मुकुल श्रीवास्तव सहित कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक शिव प्रसाद प्रजापति, निजामाबाद, आजमगढ़ एवं सह प्रशिक्षक अनिल प्रजापति की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन शिवनाथ ने किया।
 
संग्रहालय की ओर से मुख्य अतिथि कार्यशाला के मुख्य प्रशिक्षक एवं सहायक प्रक्षिक्षक को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। उक्त अवसर पर समस्त प्रक्षिक्षुओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किया गया।
 
संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ0 यशवन्त सिंह राठौर द्वारा कार्यक्रम का विस्तार पूर्वक परिचय प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि संग्रहालय अपने कला, संस्कृति एवं प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति सजग रहने एवं उन्हें सुरक्षित एवं संरक्षित करने के लिए भावी पीढ़ी को आगे बढ़ाने के लिए कृतज्ञ एवं समर्पित है।
 
टेराकोटा कला का इतिहास लगभग 7000 वर्ष पुराना- उक्त प्रशिक्षण एवं कार्यशाला के बारे में विशिष्ट अतिथि एवं विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर सुजाता गौतम कहा कि टेराकोटा कला का इतिहास लगभग 7000 वर्ष पुराना है। निजामाबाद की टेराकोटा कला में मिट्टी के बर्तन को ब्लैक पाटरी भी कहा जाता है, जो बहुत ही आकर्षक एवं मजबूत होते है। विभिन्न काल खण्डों में टेराकोटा के बर्तन एवं कलाकृतियां विभिन्न स्वरूपों में पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में मिलती है। जिनका बहुत ही विस्तृत इतिहास है। मिट्टी के बर्तनों को मृदभाण्ड भी कहा जाता है, जिसका महत्व प्राचीन काल से ही रहा है।
 
आज हम चाहे जितनी आधुनिकता में ही जी रहे हैं, लेकिन प्राचीन मिट्टी कला और संस्कृति के महत्व को भुलाया नहीं जा सकता। आज अच्छे-अच्छे लोग फ्रिज के जगह पुनः मिट्टी से निर्मित सुराही एवं घड़े के बर्तनों में पानी पीने लगे हैं। जो कहीं न कहीं हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक तो है ही, इस व्यवसाय जुड़े लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हंैं। जो भारतीय संस्कृति के लिए गर्व और गौरव की बात है। इस कला में वर्तमान पीढ़ी के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य अत्यन्त उपयोगी है। इस तरह के प्रशिक्षण एवं संग्रहालय की गतिविधियां युवाओं को भारतीय संस्कृति की समृद्ध परम्परा से जोड़ने का सशक्त माध्यम भी है।
 
मुख्य अतिथि कुमार आनन्द द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि राजकीय बौद्ध संग्रहालय द्वारा आयोजित निजामाबाद की टेरोकोटा कला जो आजमगढ़ का ओ0डी0ओ0पी0 प्रोडक्ट है। जहाॅं से निर्मित पाटरी की देश-विदेश में बड़े पैमाने पर मांग है। यह कला युवाओं के लिए भविष्य में रोजगार का बहुत ही अच्छा माध्यम बन सकता हैं। वर्तमान में बौद्ध संग्रहालय द्वारा तकनीकी शिक्षण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से संग्रहालय से जोड़ने का बहुत ही खूबसूरत प्रयास है। संग्रहालय द्वारा निरन्तर अपनी कला और संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु नये-नये आयामों के माध्यम से युवाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 
 
उक्त अवसर पर आरती प्रभा, दिलेनूर फातिमा, इमरान खान, अमृता सिंह, उदयशील, सोनिका त्रिपाठी, रितु अग्रहरि, कुमकुम सहाय, नेहा साहनी, पूजा भास्कर, अनमोल द्विवेदी, तान्या सिंह, राज चौहान, शालू सिंह, श्रद्धा त्रिपाठी, सविता किशोर, एरिका वर्धन, संजीव, विनयशील, उदय चौहान, साधना त्रिपाठी, तृप्ति शर्मा, विशाल भारती, वंशिका कुमार, श्रेया विश्वकर्मा, कु0 निधि, अंशिका निषाद, अंजली कुमारी, श्रृति गुप्ता आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 
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