Monday 13th of January 2025 02:19:04 AM

Breaking News
  • तेज हवाओं की चेतावनी जारी , लॉस angilsमें और बिगड़ सकते हैं हालात |
  • कांग्रेस ने तीसरी गारंटी का किया ऐलान ,युवा उड़ान योजना के जरिए दिल्ली के युवाओं को लुभाने की कोशिश कर रही पार्टी |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 20 Jul 2024 6:04 PM |   206 views

गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है- मनीष शर्मा

गोरखपुर-सरस्वती शिशु मंदिर (10+2) पक्की बाग गोरखपुर में गुरु पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आचार्य मनीष शर्मा ने कहा कि गुरु जीवन जीने की कला सिखाता है। पूर्णिमा सनातन धर्म संस्कृति है। सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु मे गु का अर्थ अन्धकार या अज्ञान और रू का अर्थ प्रकाश (अन्धकार का निरोधक) ।

अर्थात् अज्ञान को हटा कर प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने वाले को गुरु कहा जाता हैं। गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार होता है गुरू की कृपा के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है । आदिगुरु परमेश्वर शिव दक्षिणामूर्ति रूप में समस्त ऋषि मुनि को शिष्य के रूप शिवज्ञान प्रदान किया था। उनके स्मरण रखते हुए गुरुपूर्णिमा मानाया जाता है।

गुरु पूर्णिमा उन सभी आध्यात्मिक और अकादमिक गुरुजनों को समर्पित परम्परा है जिन्होंने कर्म योग आधारित व्यक्तित्व विकास और प्रबुद्ध करने, बहुत कम अथवा बिना किसी मौद्रिक खर्चे के अपनी बुद्धिमता को साझा करने के लिए तैयार हों। इसको भारत, नेपाल और भूटान में हिन्दू, जैन और बोद्ध धर्म के अनुयायी उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह पर्व हिन्दू, बौद्ध और जैन अपने आध्यात्मिक शिक्षकों / अधिनायकों के सम्मान और उन्हें अपनी कृतज्ञता दिखाने के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के हिन्दू माह आषाढ़ की पूर्णिमा (जून-जुलाई) मनाया जाता है।

इस उत्सव को महात्मा गांधी ने अपने आध्यात्मिक गुरु श्रीमद राजचन्द्र सम्मान देने के लिए पुनर्जीवित किया।

ऐसा भी माना जाता है कि व्यास पूर्णिमा वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित था।

Facebook Comments