पहला बच्चा है तो दूसरा बच्चा सोरोगेसी की मदद से नहीं पैदा किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरोगेसी कानून के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है, जो उन विवाहित जोड़ों को सरोगेसी के जरिए से दूसरा बच्चा पैदा करने से रोकता है, जिनका पहला बच्चा स्वस्थ है| जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(iii)(सी)(ii) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक शादी शुदा जोड़े द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया|
यह कानून विवाहित जोड़े को सरोगेसी के जरिए दूसरा बच्चा पैदा करने से रोकता है| इच्छुक जोड़े का पहले जैविक रूप से या गोद लेने के माध्यम से या सरोगेसी के माध्यम से कोई जीवित बच्चा नहीं होना चाहिए| अगर जोड़े का किसी भी तरह से पहला बच्चा है तो दूसरा बच्चा सोरोगेसी की मदद से नहीं पैदा किया जा सकता| दरअसल सरोगेसी कानून दूसरे बच्चे को कंसिव न कर पाने की समस्या का सामने कर रहे जोड़ों को सरोगेसी का फाएदा लेने से बाहर करता है|
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि विवाहित जोड़ों को दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिए सरोगेसी का फाएदा उठाने का अधिकार है| याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य को नागरिकों के निजी जीवन में अनावश्यक दखलांदजी बंद करना चाहिए| याचिकाकर्ताओं ने विवादित प्रावधान को ‘तर्कहीन, भेदभावपूर्ण और बिना किसी ठोस निर्धारण सिद्धांत के’ बताया है|
कानून के अनुसार, सरोगेसी से पहले इच्छुक जोड़े को एक योग्यता प्रमाणपत्र जारी किया जाना चाहिए| सोरोगेसी की योग्यता के लिए कई शर्तों में से एक यह है कि इच्छुक जोड़े की शादी प्रमाण पत्र के अनुसार महिला के मामले में 23-50 साल और पुरुष के मामले में 26-55 साल के बीच उम्र होनी चाहिए| दूसरी शर्त के मुताबिक इच्छुक जोड़े का पहले जैविक रूप से या गोद लेने के माध्यम से या सरोगेसी के माध्यम से कोई जीवित बच्चा नहीं होना चाहिए|