रंगों की ऋतु आ गई रे
होली को उत्सव इसलिए कहा गया है क्योंकि यह त्यौहार अनोखे स्वाद और जीवन्त रंगों की साथ फागुन महीने में आता है और हमारी समस्त इंद्रियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यह त्यौहार नवीनीकरण की आभा चहूं दिशाओं में भर देता है,, जैसे खेतों में पीली सरसों,, बागो में हरे नए पत्ते,, आम के पेड़ो का बॉर से लद जाना और घर में सोंधी खुशबू पकवानो की,, ऐसा जान पड़ता है जैसे पृथ्वी वसंत ऋतु के लिए जाग गई है और कह रही है, “आओ मिलकर कर खेलें होली”|
अपने देश के ग्रामीण इलाको में फागुन में होली का त्यौहार का एक अलग ही आकर्षण होता है। परिवार जीवन की जीवंतता और नई फसल के आशीर्वाद का आनंद लेते हैं तो उसी फसल के पैसों से घरों में बच्चों के नए कपड़े आते हैं,, औरतों के लिए भर कलाइयां रंग बिरंगी चूड़ियां तो घरों में पीपे भर के पकवान बनते हैं। अलाव जलाने की रस्में और रंगीन पानी की पिचकारी से चंचल फुहार,, सिल पर भांग के पत्तों का पीसना,, हंसी के ठहाको की बहार,, पूरा वातावरण ही जैसे नए के स्वागत में जुट गया हो,, जोगी जी वाह! जोगी जी!
अपने देश में त्योहारों के अलग-अलग महत्व और प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व हैं । होली प्रकृति के पैलेट पर सभी रंगों का प्रतिनिधित्व करता है। रंग यानि समृद्धि, उल्लास, पुनर्मिलन, खुली बाहों से ‘नए’ को आलिंगन।आज होली है,, खेलिएगा खूब खेलिएगा पर अति मत कीजिएगा,, ढोल की थाप पर,, वाद यंत्रों की झंकार पर,, होली के संगीत पर खूब थिरकिएगा पर देखिएगा कि नशे का सेवन ना हो। सृजन का त्यौहार है,, नए – पन के आगमन का त्यौहार है,, लोगों के गले लगाने का त्यौहार है,, पुरानी शिकायतों को दफन कर भाईचारे का त्योहार हैं ,होली।
ऐसा खेलिएगा कि जब आज होली के रंग उतरिएगा,, और सांझ में सब तरफ एक शांत वातावरण होगा तब इस त्यौहार की भावना,, वह दिन के चढ़े रंगों का जादू आप महसूस कर सके।
हर तरफ से शांत वातावरण होगा तब इस त्यौहार की भावना दिन के चढ़े रंगों का जादू आप महसूस कर सकेगे | होली रंगों का उत्सव ही नहीं नवीनीकरण का अतीत को पछताव को दूर कर कृतज्ञता का और खुशी के रंग बिखेरने वाला त्यौहार है |
-श्वेता मेहरोत्रा
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