चीन और स्पेन बीफ के आयात पर लगे बैन को हटाने पर सहमत हो गए
चीन ने 24 साल बाद बीफ के आयात को लेकर अपना मन बदल लिया है, जोकि यूरोपीय देशों के लिए खुशखबरी है| दरअसल, चीन और स्पेन के विदेश मंत्रियों ने रविवार को आपसी बातचीत के बाद कहा कि दोनों देश बीफ के आयात पर लगे बैन को हटाने पर सहमत हो गए हैं|बोवाइन स्पौंजीफॉर्म एन्सेफेलोपैथी या ‘मैड काऊ’ बीमारी के कई मामले सामने आने के बाद चीन ने साल 2000 में यूरोपीय संघ पर बीफ प्रोडक्ट्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था| बीजिंग ने यूरोपीय संघ के कई सदस्यों पर प्रतिबंध लगाया था|
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दक्षिणी स्पेन के कॉर्डोबा में अपने स्पेनिश समकक्ष जोस मैनुअल अल्बेरेस के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह अच्छी खबर है, खासकर स्पेनिश किसानों के लिए गुड न्यूज है| यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब स्पेन में किसान पिछले दो सप्ताह से यूरोपीय संघ के व्यापक विरोध प्रदर्शनों में भाग ले रहे हैं| ये प्रदर्शन हैवी रेगुलेशन, उच्च लागत और सस्ते आयात को लेकर किया जा रहा है| बैन के हटाए जाने के बाद स्पेन को राहत मिलने वाली है.
स्पेन के विदेश मंत्री अल्बेरेस ने चीन के मार्केट की तरफ ध्यान दिलाया है| उनका कहना है कि जब चीन के बाजार का आकार को ध्यान में रखेंगे तो प्रभाव असाधारण रूप से सकारात्मक होने वाला है| बीफ बैन हटाने को लेकर अल्बेरेस का कहना है कि यह एक ऐसा उपाय है जिसकी हम लंबे समय से मांग कर रहे थे और इससे पूरे ग्रामीण इलाकों को लाभ होता है| चीन के बाजार जैसा बाजार ढूंढना बहुत कठिन है |
जर्मनी के म्यूनिख में एक प्रमुख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के बाद चीन के शीर्ष राजनयिक स्पेन के लिए रवाना हुए| वहीं, चीन के विदेश मंत्री वांग ने कहा कि बीजिंग दुनिया में स्थिरता के लिए एक ताकत होने जा रहा है| वांग ने इजराइल-हमास संघर्ष पर चीन के रुख को भी दोहराया, जिसमें तत्काल युद्ध विराम और गाजा में मानवीय सहायता के लिए चैनल खोलने की अपील की| फ्रांस जाने से पहले वांग का सोमवार को स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज से मिलने का कार्यक्रम है|
बताया गया है कि मैड काऊ डिजीज यानी बोवाइन स्पौंजीफॉर्म एन्सेफेलोपैथी (बीएसई) एक संक्रामक बीमारी है. यह धीरे-धीरे फैलती है और घातक होती चली जाती है| ये बीमारी वयस्क मवेशियों की सेंट्रल नर्वस सिस्टम को डैमेज करती है| इसको लेकर यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (यूएसडीए) ने एक टेस्ट भी किया था, जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया था कि इस बीमारी से संक्रमित मवेशी की कोशिकाओं की परत में असामान्य प्रोटीन मिलता है, जिसे प्रायोन कहते हैं| मवेशी पागलों की तरह व्यवहार करने लगता है और उसे चलने में भी समस्या होती है|