नीतीश सरकार की बड़ी कामयाबी, विधानसभा में पास हुआ 75% आरक्षण वाला विधेयक
बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक गुरुवार को सर्वसम्मति से पारित हो गया। बिहार कैबिनेट ने एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए कोटा मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पारित किया था। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ओबीसी और ईबीएस के आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 43 प्रतिशत, अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (एसटी) 1 प्रतिशत से 2 प्रतिशत करने की सिफारिश की थी।
ईडब्ल्यूएस के लिए कोटा मौजूदा 10 फीसदी ही रहेगा। जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी 13.07 करोड़ में ओबीसी (27.13 प्रतिशत) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग उप-समूह (36 प्रतिशत) की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है, जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13 प्रतिशत) 6,000 रुपये या उससे कम मासिक आय पर रहते हैं।
इससे पहले बिहार मंत्रिमंडल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीएस) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव मंगलवार को पारित कर दिया था। मंगलवार को विधानसभा में पेश जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा समाप्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस संबंध में बयान दिया।
कुमार की यह घोषणा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले आई है। बिहार विधानसभा में मंगलवार को पेश की गई जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में एक तिहाई से अधिक परिवार प्रतिदिन 200 रुपये या उससे कम की आय पर गुजारा कर रहे हैं, जबकि समान कमाई पर जीवन यापन करने वाले अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) परिवारों की संख्या लगभग 43 प्रतिशत है।