भोजपुरी भाषा की अपनी संस्कृति है- विजय प्रकाश
दिल्ली( निष्पक्ष प्रतिनिधि ) – भोजपुरी भाषा की अपनी मिठास है , अपनी सभ्यता है ,अपनी संस्कृति है | भोजपुरी सिर्फ भारत में ही नही बल्कि अन्य देशो में भी बोली जाती है | पूरे विश्व में 50 मिलियन लोग भोजपुरी बोलतें हैं | 6 मिलियन लोग नेपाल , मारीशस ,फिजी, सूरीनाम , युगांडा , गुयाना , सिंगापुर ,त्रिनिदाद, टुबैगो में बोलते है |
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का 3000 करोड़ का टर्न ओवर है और म्यूजिक इंडस्ट्री का 8000 करोड़ है | भोजपुरी फिल्म उद्योग के लोग इस भाषा से अपनी रोजी -रोटी कमाते हैं | इसके अस्मिता और अस्तित्व से इनका कोई लेना -देना नही है | उक्त बाते निष्पक्ष प्रतिनिधि से बात करते हुए विजय प्रकाश श्रीवास्तव ( पूर्व निदेशक कापी राइट ) ने कहा |
उन्होंने यह भी कहा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद को अपने क्षेत्र और अपनी मातृभाषा से बहुत प्यार था | उस समय के कुशल निर्देशक नासिर हुसैन को राजेंद्र बाबू ने कहा कि आप भोजपुरी भाषा में फिल्म बनाये | फिर भोजपुरी फिल्म बनी – गंगा मैया तोहे पियरी चढईबो “इस फिल्म के प्रोडूसर थे – विश्वनाथ शाहाबादी जो 1963 में रिलीज हुई थी |इस फिल्म में ग्रामीण चित्रण किया गया था जो आज तक मानस पटल से नही उतरा | भिखारी ठाकुर की विदेशिया, फुल डलिया आदि भोजपुरी की उत्कृष्ट फिल्मे है | जिसमे भोजपुरिया सभ्यता और संस्कृति दिखती है |
पहली भोजपुरी नोबल बिंदिया थी जिसके लेखक थे रामनाथ पाण्डेय | यह नाबेल सन 1955 में छपी थी |