क्षेत्रीय भाषाओं से भी हिन्दी का संवाद आवश्यक है- प्रो. श्रीकांत
नव नालन्दा महाविहार में हिन्दी दिवस का आयोजन किया गया। एक सितंबर से चल रहे हिन्दी पखवाड़े का समापन हुआ।
हिन्दी दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में प्रास्ताविक व्याख्यान प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ का था। हिन्दी पर विशिष्ट रूप से केंद्रित व्याख्यान प्रो श्रीकांत सिंह का था। अध्यक्षता प्रो. दीपंकर लामा व संचालन प्रो हरे कृष्ण तिवारी ने किया । कार्यक्रम के आरम्भ में डॉ. धम्म ज्योति एवं डॉ. नरेंद्र दत्त तिवारी ने मंगल- पाठ किया।
अपने प्रास्ताविक व्याख्यान में हिन्दी भाग के अध्यक्ष प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ ने हिन्दी को ग्लोबल भाषा बताया। इसको बोलने- समझने -बूझने वाले विश्व भर में हैं। हिन्दी का शब्दकोश विश्व का सबसे बड़ा भाषिक शब्द कोश है। यह इंटरनेट व सूचना- तकनीक की प्रमुख भाषा बन गयी है।
गूगल जैसी कम्पनियां हिन्दी को बढ़ावा देने हेतु क़दम उठा रही हैं। आज नयी पीढ़ी में हिन्दी का प्रचार- प्रसार आवश्यक है। न्यायालयों में हिन्दी का उपयोग बढ़ाना होगा। तकनीक, नये ज्ञान के साधन के रूप में हिन्दी का विकास ज़रूरी है। अमेरिका व दुनिया के सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि हिन्दी में यहाँ की धरती की गन्ध है, स्मृतिपरकता है। हिन्दी हमारे स्वत्व को रचती है।
अपने व्याख्यान में अंग्रेज़ी विभाग के प्रोफ़ेसर व कुलसचिव ( प्रभारी ) प्रो श्री कांत सिंह ने कहा कि भारत में भाषा की केंद्रीयता है जब कि पश्चिम में ज्यामिति की। भाषा न केवल सम्प्रेषण अपितु बोध भी है। भारत के उत्थान के साथ हिन्दी का विकास होता जायेगा। अंग्रेज़ी साम्राज्य में अंग्रेज़ी का अधिक विकास हुआ। हिन्दी व भारत आज उत्थान की ओर हैं। किसी हिन्दी लेखक को नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए । क्षेत्रीय भाषाओं से भी हिन्दी का संवाद आवश्यक है। बेहतर अनुवाद को अभियान बनाना होगा।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अकादमिक संकायाध्यक्ष व कुलपति प्रभारी प्रो. दीपंकर लामा ने कहा कि हिन्दी का प्रसार बढ़ रहा है। हिन्दी को बढ़ाने का अर्थ अपनी संस्कृति के आधार को पुष्ट करना है। हिन्दी विश्व भर में प्रेम , भाईचारे व समभाव की भाषा बन रही है। अपनी विद्या का अभ्यास करने से हर उपलब्धि होती है: ‘करत करत अभ्यास ते…।’
संचालन करते हुए हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर व परीक्षा नियंत्रक प्रो. हरे कृष्ण तिवारी ने कहा कि हिन्दी अपनी बोलियों से रची बसी व समृद्ध है। हिन्दी केवल राजभाषा नहीं अपितु हमारे भीतर के मर्म की आलोड़क भाषा है। उसके विकास का अर्थ हमारी आन्तरिक समृद्धि है।
इस अवसर पर नवनीत कुमार, यशिका आनंद, कुमारी सोनी , सुरभि गुप्ता, सोनी कुमारी, निर्भय कुमार सिंह, वर्षा कुमारी, शंभु कुमार, नेहा कुमारी, सोनाक्षी कुमारी, शिवनंदन रविदास, सुबोध कुमार, डॉ कृ कुमार पाण्डेय ने कविता- पाठ किया।
हिन्दी पखवाड़े में कविता पाठ, भाषण, निबंध लेखन, अनुवाद, टंकण प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं थीं।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के आचार्य, गैर शैक्षणिक जन, छात्र व शोधछात्र सम्मिलित हुए।
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