वाह रे लाइब्रेरी
एक दिन मै अपने शहर में बाइक से कहीं जा रहा था | अपनी मस्ती में गाना गुन- गुनाते हुए | तभी मेरे एक डॉ मित्र सामने से आते दिखाई दिए | मुझको देखकर वह अपने गाडी से उतरे | हम दोनों ने एक दूसरे का कुशल क्षेम पूछा | उन्होंने बताया कि अब मै सेवा निवृत हो गया हूँ और एक लाइब्रेरी खोली है | यह कहते हुए मेरे मित्र पॉकेट से अपना बटुआ निकालते हुए उसमे रखा अपना वीजिटिंग कार्ड निकाले और मेरे तरफ हाथ बढ़ाते हुए बोले कि यह मेरे लाइब्रेरी का कार्ड है | आप जरुर आइये | फिर हम दोनों एक दूसरे से हाथ मिलाये और आगे बढे , वो अपने रास्ते, और हम अपने रास्ते |
कुछ महीने बीत गए मेरे दिमाग से यह बात उतर गयी | फिर एक दिन एक पुस्तक पढने की इच्छा मेरे मन को हुई | तब मुह्जे याद आया मेरे मित्र ने एक लाइब्रेरी खोली है क्यों न उसके यहाँ चलू? कुछ पुस्तक ले आऊ और ज्ञान को बढाऊं |
फिर क्या था ?फट से अपने मित्र को दूरभाष से संपर्क किया और बोला कि मै थोड़ी देर में आपके यहाँ आ रहा हूँ | मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की , और उनके बताये पते पर पहुँच गया | अपने मित्र से मैंने कहा कि मुझे आपकी लाइब्रेरी में जाना है | उन्होंने कहा की वो सामने ही लाइब्रेरी है आप चलिए बस मै मजदूरों को रुपया देकर आता हूँ |
जब मै लाइब्रेरी के अन्दर पहुंचा तो देखा कि पूरे कमरे में अँधेरा था, कमरे में ac चल रहा था एक या दो लड़का ,कुछ लडकियां एक टेबल पर कुछ पुस्तके और मोबाइल रखकर कुछ काम कर रहे थे | मैंने देखा कि छोटे -छोटे ढेर सारे केबिन बने हुए थे |और सामने एक टेबल रखी थी | तभी मेरा मित्र आ गया मैंने पूछा कि क्या यही लाईब्रेरी है? मेरे मित्र बोले जी हाँ —-
इसके हम प्रति माह रूपये 1200 लेते हैं | बच्चे यहाँ आ कर पढ़ते हैं | इनको कोई डिस्टर्ब नही करता |बच्चे भी खुश रहते है कि यहाँ कोई शोर- शराबा नही होता बिल्कुल शांत मन से पढ़ते हैं |
फिर मैंने अपने साथी से बोला कि मै तो सोचा था आपके यहाँ से पुस्तक ला कर पढूंगा | लेकिन मुझे आज पता चला कि अब लाइब्रेरी का अर्थ बदल चुका है लाईब्रेरी का मतलब मै नई -पुरानी किताबो ,अखबारों और मैगजीन का संग्रह समझता था लेकिन अब जमाना बदल चुका है और मै पुराने सोच का आदमी हूँ और मेरे मुख से निकल पड़ा – वाह रे लाईब्रेरी |
— राकेश मौर्य