प्रकृति
हर रोज देती प्रकृति
मगर हमसे कुछ ना
कभी लेती प्रकृति।
सुंदर लगे पेड़ पौधे
इनको ना तुम कांटों
रखो इसका ध्यान सदा
टुकड़ों में ना तुम बांटों।
यदि नहीं होंगे
पेड़ पौधे यहां पर
तो मुश्किल होगा
जीना धरा पर।
इनको तुम बचाकर
हमेशा ध्यान रखो
प्रकृति का भी तुम
अब सम्मान करो।
हरियाली हर तरफ़
इनकी वजह से दिखती
और बागों में आकर
तितलियां हैं उड़ती।
प्रेम करना प्रकृति से
सीखते हैं अब हम
रखेंगे ख्याल इसका
हममें जबतक हैं दम।
दिव्या चौबे
बलिया।
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