कोई भाषा अश्लील नहीं होती,अश्लीलता होती है लोगों की फूहड सोच मे- डॉ लारी
देवरिया – कल सायं निजी आई.टी.आई. देवरिया ख़ास मे भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के तत्वावधान में भोजपुरी भाषा,साहित्य,कला और संस्कृति मे बढती अश्लीलता के प्रभाव एवं समाधान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया |
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलन से हुआ |
भोजपुरी पुनर्जागरण मंच के संयोजक नरसिंह ने अपने अभिभाषण मे कहा कि भोजपुरी भाषा, साहित्य,संस्कृति और लोक-परम्परा हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक थाथी,विरासत और धरोहर है।इसको बचाना हर भोजपुरी भाषा-भाषी लोगों का कर्तव्य है।
आज भोजपुरी भाषा और कला पर अश्लीलता का तगमा लगाया जा रहा है।इसके पुरजोर बिरोध की शुरूआत सर्वप्रथम अपने-अपने घर से शुरू करके फिर आस-पडोस और पूरे समाज मे एक सशक्त सांस्कृतिक अभियान के रूप मे करना होगा।फूहड और दूअर्थी गीत गाने-नाचने वालों का तथा इसे प्रचारित-प्रसारित करने वाले चैनलों का अभियान चलाकर सामाजिक बिरोध करना करना होगा।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डा. लारी आजा़द ने कहा कि कोई भाषा अश्लील नहीं होती,अश्लीलता होती है लोगों की फूहड सोच मे। ऐसी ही फूहड सोच का दुष्परिणाम है कि भोजपुरी भाषा मे अश्लील गीतों और नृत्यो की बाढ आ गई है।हम लोगों को ऐसा गानें-नाचने वालों का सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक बिरोध करना चाहिए।हम रहे या ना रहे पर भोजपुरी पुष्पित-पल्वित होकर सतत आगे बढती रहेगी।
भोजपुरी और हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार तथा नव नालन्दा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा.रविन्द्रनाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ का लिखित विचार सभी को पढ के सुनाया गया।
संगोष्ठी में बिरेन्द्र कुमार सिंह, रमेश तिवारी, कैप्टन बिरेन्द्र सिंह सहित और लोगों ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी का संचालन सौदागर सिंह जी तथा धन्यवाद ज्ञापन सुरेन्द्र कुशवाहा ने किया।
कार्यक्रम मे मुख्य अथिति एवं मुख्य वक्ता डां. लारी आजाद को अभिनन्दन पत्र देकर और अंगवस्त्र ओढा कर सम्मानित किया गया।
संगोष्ठी मे शान्ति स्वरूप दुबे,कृष्ण मोहन सिंह, जयराम गुप्ता, व्यास मुनि पाण्डेय, सरोज मोहन श्रीवास्तव,जय किशन कुशवाहा, श्री राम कुशवाहा, ब्रजेश कुमार, आराधना पाण्डेय, विनीता तिवारी, रामविश्वास शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम के अन्त मे सभी ने पूंजीवादी भोगी अपसंस्कृति से व्यक्ति, परिवार और समाज को बचाने और भोजपुरी भाषा, साहित्य,संस्कृति और लोक-परम्पराओं के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प लिया गया।
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