विश्व अस्थमा दिवस
अस्थमा श्वास सम्बन्धी पुरानी बीमारी है |यह एक ऐसी बीमारी है जिससे जीवन पर्यन्त छुटकारा नहीं पाया जा सकता है |पूरी दुनिया में अस्थमा के प्रति जन जागरूकता बढाने के ख्याल से प्रतिवर्ष मई के पहले मंगलवार विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है |यह बच्चो में होने वाली एक प्रमुख बीमारी है |पूरी दुनिया में 18 वर्ष से कम आयु के 4.8 मिलियन बच्चे अस्थमा से पीड़ित हैं |भारत में 130 करोड़ की आबादी में 6 % बच्चे व 2 % व्यस्क व्यक्ति अस्थमा या दमा रोग से ग्रसित हैं |
शोध बताता है कि कोई भी व्यक्ति अस्थमा रोग के साथ पैदा नही होता |यदि माँ को अस्थमा है तो बच्चों में अस्थमा विकसित होने की संभावना 3 गुना अधिक होती है | यदि पिता में अस्थमा है तो बच्चों में अस्थमा की संभावना 2 .5 गु ना अधिक होती है |
वायु प्रदूषण अस्थमा रोग का एक महत्वपूर्ण कारक है |मानसिक तनाव व दुश्चिंताओ के बढ़ने की स्थिति में भी अस्थमा होने की संभावना बढ़ जाती है |संतुलित भोजन के आभाव में तथा मोटापा की स्थिति में अस्थमा रोग बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है | अस्थमा के मरीजो में घरघराहट ,सांस लेने में तकलीफ ,सीने में जकडन और खांसी होती है |अत्यधिक खांसी के कारण फेफड़ो में कफ उत्पन्न हो सकता है |लेकिन इसको बाहर लाना कठिन होता है |
अस्थमा के मरीजो को खाने में अंडा , सोया , पपीता , केला , चीनी ,चावल और दही का सेवन नहीं करना चाहिए | कोल्डड्रिंक ,फास्टफूड तथा डब्बा बंद खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए | भोजन में अंकुरित अनाज ,साग सब्जी का भरपूर सेवन करना चाहिए | विटामिन A ,C व D से युक्त भोजन तथा ताजे फलो का सेवन बहुत उपयोगी है |तुलसी शहद और दालचीनी का प्रयोग लाभकारी है |
भोजन में तली- भूनी चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए |दूध के साथ बादाम काली मिर्च व गुड का सेवन रामवाण औषधि सदृश है | योग प्राणायाम प्रातःकाल का सैर हमारे तन मन को स्वस्थ रखता है |पूरे शरीर के साथ -साथ फेफड़ों को भरपूर ऑक्सीजन मिल जाता है |
अस्थमा के बढ़ते मरीजो की संख्या को देखते हुए सेमीनार व वर्कशॉप के जरिये जन जागरूकता बढाने की आवश्यकता है | विद्यालय के पाठ्यक्रम इसे शामिल किया जाए | यह बीमारी धूल, धुआं , उड़ते हए परागकण ,प्रदूषण , मौसम के उतार – चढाव और एयर कंडीशन में ज्यादा समय व्यतीत करने से होती है |
- मनोज मैथिल