Thursday 16th of May 2024 07:25:21 PM

Breaking News
  • बाहर से समर्थन वाले बयान पर ममता का यू टर्न कहा – मैंने ही INDIA ब्लाक बनाया , गठबंधन में ही रहेगी TMC|
  • हम उनके साथ खड़े हैं — स्वाति मालीवाल को लेकर आया प्रियंका गांधी का बयान |
  • केरल में बढ़ेगी बारिश , IMD ने कई जिलो के लिए ” ऑरेंज अलर्ट जारी किया |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 2 May 2023 7:37 PM |   282 views

लखनऊ की रामलीला अवध की गौरवशाली संस्कृति

लखनऊ: अवध खासतौर से लखनऊ की रामलीला गौरवशाली इतिहास एवं सांस्कृतिक विरासत को समेटे हुए है। दशहरा के समय आयोजित होने वाली लखनऊ की रामलीला में विभिन्न समुदायों की सहभागिता के साथ सामाजिक सौहार्द एवं भाईचारे का संदेश रामलीला के साथ-साथ चलता है, इसीलिए इस रामलीला को लखनऊ की संस्कृति एवं सामाजिक सद्भाव का प्रतीक भी कहा जाता है।

बदलते परिवेश में शहरीकरण, औद्योगीकरण तथा नगरीकरण के कारण जो पारिवारिक मूल्यों में जो क्षरण हो रहा है, उसको यह रामलीला पुनर्जीवित एवं संरक्षित करने का कार्य करती है। भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में जो आदर्श-मूल्य स्थापित किये थे उसका संदेश आज पारिवारिक एवं सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने में बेहद उपयोगी सिद्ध हो रहा है।

यह विचार गत शनिवार को अयोध्या संस्थान द्वारा लखनऊ की रामलीला पर आयोजित परिचर्चा में वक्ताओं द्वारा उद्घाटित किये गये। वक्ताओं में लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, संस्कृति कर्मी उमा त्रिगुणायत, वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव, आकाशवाणी के सेवानिवृत्त कार्यक्रम प्रमुख प्रतुल जोशी तथा विभिन्न समाचार पत्रों के सांस्कृतिक संवाददाता मौजूद थे।

बैठक में विचार व्यक्त करते हुए प्रो0 दीक्षित ने कहा कि जनश्रुति के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास का आगमन लखनऊ हुआ था। उन्होंने रामकथा के प्रचार-प्रसार के लिए रामलीला की शुरूआत करायी थी। उन्होंने कहा कि लखनऊ की रामलीला में कथक परम्परा के अंश भी मिलते हैं। कथक का आरम्भ ही कथा कहने से हुआ है। कालांतर में कथक के साथ ही लखनऊ में रामलीला की शुरूआत हुई।

उमा त्रिगुणायत ने कहा कि प्रख्यात कथक नर्तक पं0 बिरजू महाराज ने कथक के माध्यम से तुलसी कथा रघुनाथ की प्रस्तुतिकरण किया था जो काफी चर्चित रही। प्रतुल जोशी ने कहा कि लखनऊ के पर्वतीय समाज का रामलीला मंचन से गहरा जुड़ाव रहा है। पर्वतीय समाज की रामलीलाओं में शास्त्रीय रागों का प्रमुखता से प्रयोग होता है।

प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि नवाब वाजिद अली शाह रामलीला के प्रेमी थे। उन्होंने इस विधा को बढ़ावा दिया। अयोध्या शोध संस्थान की पत्रिका साक्षी के को-आर्डिनेटर आलोक पराणकर ने कहा कि लखनऊ की रामलीला का डाक्यूमेंटेशन किया जा रहा है। इसी क्रम में साक्षी पत्रिका का विशेषांक लखनऊ की रामलीला पर निकाला जा रहा है।

रोली खन्ना ने कहा कि रामलीला अब नई पीढ़ी को हस्तांतरित हो रही है। इस मौके पर सबाहत हुसैन विजेता ने कहा कि चौक की रामलीला में व्यापारी वर्ग का विशेष योगदान रहा है। इस मौके पर ऐशबाग की रामलीला के कलाकारों द्वारा विशेष परिधान में खेली जा रही रामलीला का जिक्र भी किया गया। आलमबाग की रामलीला में पंजाबी भाषा का पुट पाया जाता है।

मधुर मोहन तिवारी ने बताया कि खदरा की रामलीला निषाद परिवार के लोगों द्वारा की जाती है। इसमें वास्तविक नाव का भी प्रयोग किया जाता है। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक लवकुश द्विवेदी ने बताया कि विभिन्न स्थानों पर रामायण कान्क्लेव का भी आयोजन किया जा रहा है।

प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री  जयवीर सिंह ने मैनपुरी सहित कई स्थानों पर आयोजित रामायण कान्क्लेव का शुभारम्भ किया था। उन्होंने कोरोना काल में स्थगित अयोध्या की रामलीला को गत वर्ष 02 अप्रैल से निरन्तर किये जाने के निर्देश दिये थे। 

Facebook Comments