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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 23 Mar 2023 5:40 PM |   146 views

‘‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया

गोरखपुर -आजादी का अमृत महोत्सव के अन्तर्गत शहीद भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के शहादत दिवस के अवसर पर आज राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा संग्रहालय के प्रदर्शनी हाल में ‘‘भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ विषयक छायाचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।

प्रदर्शनी का उद्घाटन  विजय कुमार, मुख्य वाणिज्य प्रबन्धक (यात्री सेवाएं) पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर द्वारा उक्त शहीदों को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

संग्रहालय के उप निदेशक, डाॅ0 मनोज कुमार गौतम ने उक्त प्रदर्शनी की विषय-वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें 23 मार्च 1931 को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया।

अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था।

लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी। वर्ष 1922 में चौरी-चौरा हत्याकांड के बाद गाँधी जी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए। उसके बाद उनका अहिंसा से विश्वास कमजोर हो गया और वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र रास्ता है। उसके बाद वह चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित हुई गदर दल के हिस्सा बन गए।

काकोरी की घटना में राम प्रसाद ’बिस्मिल’ सहित 4 क्रान्तिकारियों को फाँसी व 16 अन्य को कारावास की सजाओं से भगत सिंह इतने अधिक उद्विग्न हुए कि चन्द्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन से जुड़ गए और उसे एक नया नाम दिया हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन। इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था। क्रान्तिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर भगत सिंह ने वर्तमान नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेण्ट्रल एसेम्बली के सभागार संसद भवन में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज़ सरकार को जगाने के लिये बम और पर्चे फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दी।

उक्त प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए मुख्य अतिथि विजय कुमार, मुख्य वाणिज्य प्रबन्धक (यात्री सेवाएं) पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर ने वीर शहीदों को नमन करते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई पूरे विश्व में अद्वितीय रही है। हमारे बलिदानियों की शौर्यगाथा हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रदर्शनी बेहद ज्ञानवर्धक एवं राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता के लिए अत्यन्त प्रेरणास्पद है। जिसमें अपने देश के स्वतंत्रता आन्दोलन से सम्बन्धित गौरवपूर्ण इतिहास की झलक दिखाई गई है।

उक्त प्रदर्शनी में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर शहीदों एवं तत्सम्बन्धी विभिन्न घटनाओं का प्रदर्शन किया गया है। जिसमें ब्रिटिश सरकार के विरूद्ध मेरठ क्रान्ति 1857 की शुरूआत से 1946 तक चलने वाले स्वाधीनता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को चित्रों एवं अभिलेखों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।

इस क्रान्ति में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहब, अलीमुल्ला खाॅं, मौलवी अहमदउल्लाह शाह जैसे महाने क्रान्तिकारियों के बलिदान सहित महात्मा गांधी के विभिन्न आन्दोलनों को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शनी में दिखाया गया है।

उक्त प्रदर्शनी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह, अशफाक उल्लाॅह खां, पं0 रामप्रसाद बिस्मिल आदि जैसे उग्र और उत्तेजक क्रान्तिकारियों के विषय में भी जानकारी दी गयी है। 

उक्त अवसर पर सर्व सुभाष चन्द्र चौधरी, राकेश श्रीवास्तव, छेदीलाल यादव, मनीष यादव, संदीप यादव, जयनारायण चैबे, भालचन्द्र मिश्रा, शिवम यादव, मीरा शुक्ला, रीता तिवारी, अराध्या राय, ओजस्वी राय, कामना राय, संजय दूबे, सुमन्तक मणि तिवारी, आदित्य मिश्रा, दीपाली, आदि गणमान्य की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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