सुभाष चन्द्र बोस एवं महात्मा गांधी: एक ही सिक्के के दो पहलू ‘ विषयक व्याख्यान आयोजित
नालंदा – नालंदा में ‘ सुभाष चन्द्र बोस एवं महात्मा गांधी: एक ही सिक्के के दो पहलू ‘ विषयक व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने किया। संयोजन एवं संचालन प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ ने किया।
अपने व्याख्यान में हरिहर प्रसाद चतुर्वेदी ने कहा कि भारत की आत्मा थे- सुभाष जी। उन्होंने भारत की नई रचना की कल्पना की तथा उसके लिए संघर्ष किया। वे अपने विचारों व कार्यों से भारत के गौरव को लाने तथा उसे स्वाधीन बनाने के लिए संकल्पित रहे। वे गांधी जी के संवेदनशील मन को सम्मान देते थे तथा उन्हें भारत का लाल समझते थे।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो वैद्यनाथ ने सुभाष व गांधी : दोनों ने भारत के लिए संघर्ष किया। वे सुख -सुविधाओं को छोड़ कर भारत की आज़ादी में कूदे थे। वे अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे व हर विषय पर अपना विशिष्ट मत रखते थे।
संचालन करते हुए प्रो रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ ने उन्हें भारत में लोकतांत्रिकता को लाने वाला संकल्पित व्यक्ति बताया जो भारत के अखंडीकरण व सांस्कृतिक स्वायत्तता के पक्ष धर व्यक्ति के रूप में ख्यात हैं।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रो. राणा पुरुषोत्तम कुमार ने सुभाष व गान्धी को भारत की समेकित चेतना बताया। भारत ही नहीं, अपने विचारों से विश्व को दीप्त करते हैं।
कार्यक्रम में प्रो. विजय कुमार कर्ण, डॉ. ललन कुमार झा, प्रो. राणा पुरुषोत्तम कुमार, प्रो. विश्वजीत कुमार, प्रो. सुशिम दुबे, धम्म रतन, मनीष चौधरी आदि ने भी अपने विचार प्रकट किए।
कार्यक्रम में हरिहर प्रसाद चतुर्वेदी के साथ साथ महाविहार के आचार्य, शोध छात्र, अन्य छात्र तथा गैर शैक्षणिक समुदाय के लोग उपस्थित थे।
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